नई दिल्ली: देश में जीएसटी की नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होने वाली हैं, जो आम आदमी की जेब पर बड़ा असर डाल सकती हैं। लेकिन क्या ये बदलाव स्ट्रीट वेंडर्स के लिए वरदान साबित होंगे या फिर एक नई चुनौती? जीएसटी काउंसिल ने टैक्स स्लैब को सरल बनाते हुए दो मुख्य दरें- 5% और 18% तय की हैं, जबकि ‘सिन गुड्स’ जैसे तंबाकू और लग्जरी आइटम्स पर 40% की ऊंची दर लगाई गई है। स्ट्रीट वेंडर्स, जो ज्यादातर खाने-पीने की चीजें, नमकीन, चाय-समोसे जैसी रोजमर्रा की चीजें बेचते हैं, इन बदलावों से सीधे प्रभावित होंगे। आइए देखते हैं कि ये नई दरें उनके लिए क्या मायने रखती हैं।
रोजमर्रा की चीजें सस्ती, वेंडर्स को फायदा?
जीएसटी काउंसिल के फैसले से कई जरूरी सामान पर टैक्स घटा है, जो स्ट्रीट वेंडर्स के बिजनेस को बूस्ट दे सकता है. उदाहरण के लिए, पैकेज्ड नमकीन, भुजिया, सॉस, इंस्टेंट नूडल्स, चॉकलेट, कॉफी, बटर, घी और कॉर्नफ्लेक्स जैसी चीजों पर जीएसटी 12% या 18% से घटकर 5% हो गई है. स्ट्रीट वेंडर्स जो चाट, समोसा या चाय के साथ ऐसी चीजें बेचते हैं, अब कम कीमत पर सामान खरीद सकेंगे, जिससे उनका मुनाफा बढ़ सकता है। इसी तरह, रोटी, पराठा और चपाती जैसी चीजों पर जीएसटी पूरी तरह खत्म कर दी गई है, जो फूड वेंडर्स के लिए राहत की खबर है.
इसके अलावा, साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, साइकिल और किचन के सामान जैसी रोजमर्रा की चीजों पर भी टैक्स 5% हो गया है. स्ट्रीट वेंडर्स जो छोटे-मोटे घरेलू सामान या फूड आइटम बेचते हैं, अब कम टैक्स देकर ज्यादा स्टॉक रख सकेंगे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे उनकी बिक्री बढ़ेगी, क्योंकि ग्राहक भी सस्ते दामों पर चीजें खरीदेंगे। खासकर त्योहारों के मौसम में, जैसे नवरात्रि से शुरू होकर, ये बदलाव वेंडर्स की कमाई को दोगुना कर सकते हैं.
चुनौतियां भी कम नहीं, कुछ चीजें महंगी हुईं
लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। नई दरों से कुछ आइटम महंगे भी हो गए हैं, जो स्ट्रीट वेंडर्स को मुश्किल में डाल सकते हैं. मिसाल के तौर पर, शुगरी ड्रिंक्स जैसे कोला, पेप्सी और अन्य एरेटेड ड्रिंक्स पर जीएसटी 40% हो गई है, जो पहले 18-28% थी. कई वेंडर्स जो ठंडी ड्रिंक्स या कैफीनेटेड बेवरेज बेचते हैं, अब ज्यादा टैक्स चुकाएंगे, जिससे उनके प्रॉफिट मार्जिन पर असर पड़ेगा। इसी तरह, तंबाकू प्रोडक्ट्स जैसे पान मसाला, सिगरेट और गुटखा पर भी 40% टैक्स लगेगा, हालांकि ये बदलाव तुरंत लागू नहीं होंगे क्योंकि सरकार के पुराने लोन चुकाने तक पुरानी दरें बनी रहेंगी.
स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक और चुनौती है छोटे वाहनों की कीमत। हालांकि छोटी कारें और 350 सीसी तक की मोटरसाइकिल पर जीएसटी 18% रह गई है, लेकिन इससे ज्यादा पावर वाली बाइक्स पर 40% टैक्स लगेगा. कई वेंडर्स जो डिलीवरी के लिए बाइक्स इस्तेमाल करते हैं, अगर नई बाइक खरीदने की सोच रहे हैं तो महंगाई का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, ऑटो पार्ट्स पर एकसमान 18% टैक्स से मेंटेनेंस का खर्च स्थिर रहेगा, लेकिन कुल मिलाकर छोटे बिजनेस वाले वेंडर्स को टैक्स कंप्लायंस की जटिलता से जूझना पड़ सकता है.
छोटे व्यापारियों को आसान कारोबार का वादा
जीएसटी काउंसिल ने छोटे व्यापारियों और वेंडर्स के लिए रजिस्ट्रेशन और रिफंड प्रोसेस को ऑटोमेटेड बनाने का ऐलान किया है, जो स्ट्रीट वेंडर्स के लिए बड़ा प्लस पॉइंट है. पहले की जटिल स्लैब सिस्टम (5%, 12%, 18%, 28%) से अब सिर्फ दो मुख्य स्लैब रह गए हैं, जिससे टैक्स कैलकुलेशन आसान हो जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि ये बदलाव ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देंगे और आम आदमी की जेब पर बोझ कम करेंगे. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने इसे ‘8 साल देर से आया यू-टर्न’ बताया, लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इससे एमएसएमई और स्ट्रीट वेंडर्स को फायदा होगा.
कुल मिलाकर, नई जीएसटी दरें स्ट्रीट वेंडर्स के लिए ज्यादातर वरदान ही साबित हो सकती हैं, क्योंकि essentials पर टैक्स कम होने से उनका बिजनेस बढ़ेगा। लेकिन महंगी चीजों और कंप्लायंस की चुनौतियां बनी रहेंगी। त्योहारों के सीजन में ये बदलाव कितना असर दिखाएंगे, ये आने वाला वक्त बताएगा।
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