रायपुर, 25 सितंबर (Udaipur Kiran News) . Chhattisgarh उच्च न्यायालय ने राज्य स्रोत नि:शक्त जन संस्थान के नाम पर हुए लगभग 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह घोटाला इतना गंभीर और संगठित है कि स्थानीय एजेंसियों या पुलिस से इसकी जांच कराना उचित नहीं होगा.
जस्टिस पीपी साहू और जस्टय संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने साल 2018 से लंबित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे गंभीर और संगठित अपराध करार दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि स्थानीय एजेंसियों या पुलिस से ऐसी जटिल जांच संभव नहीं, इसलिए सीबीआई ही निष्पक्ष जांच कर सकती है.
न्यायमूर्ति प्रार्थ प्रतीम साहू व न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल की खंडपीठ ने इस मामले को प्रणालीगत भ्रष्टाचार (सिस्टमेटिक करप्शन) का बताते हुए कहा कि इसमें उच्च स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं. राज्य सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की आवश्यकता महसूस की गई.
कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि सीबीआई 5 फरवरी 2020 को भोपाल में दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच कर सकती है. यदि एफआईआर दर्ज नहीं हो सका था तो सीबीआई नए सिरे से एफआईआर दर्ज कर 15 दिनों के भीतर राज्यभर में संबंधित विभाग, संगठन और कार्यालयों से प्रासंगिक मूल रिकार्ड जब्त करे.
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार द्वारा राज्य में सीबीआई जांच पर रोक लगाए जाने के कारण उक्त प्रकरण Madhya Pradesh में दर्ज किया गया था.
इस मामले में रायपुर के एक कर्मचारी कुंदन सिंह ने साल 2017 में एक याचिका दायर की. जो बाद में जनहित याचिका में तब्दील की गई. इसे 2018 में जनहित याचिका के रूप में तब्दील कर इसकी सुनवाई शुरू की गई. Chhattisgarh हाइकोर्ट में लगातार कई वर्षों से जनहित याचिका की सुनवाई चल रही थी.
दरअसल साल 2019 के पहले इस कथित घोटाले को अंजाम दिया गया. जिसमें कहा गया राज्य स्रोत नि:शक्त जन संस्थान नाम की संस्था ही नहीं है. सिर्फ कागजों में संस्था का गठन किया गया था. राज्य को संस्था के माध्यम से लगभग 1000 करोड़ का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा, जो कि 2004 से 2018 के बीच में 10 साल से ज्यादा समय तक किया गया. इस मामले में राज्य के 6 आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती समेत सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा पर आरोप लगाया गया. याचिका में कहा गया कि स्टेट रिसोर्स सेंटर का कार्यालय माना रायपुर में बताया गया, जो समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत है.
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Chhattisgarh हाइकोर्ट में जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डबल बेंच ने अंतिम सुनवाई कर 25 जून 2025 को फैसला सुरक्षित रखा था. जिसे 23 सितम्बर 2025 को सार्वजनिक किया गया. इस फैसले में कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश एफआईआर दर्ज होने की तारीख से 15 दिनों के भीतर पूरे राज्य में संबंधित विभाग, संगठन और कार्यालयों से प्रासंगिक मूल रिकॉर्ड जब्त करेगी, यदि ऐसा नहीं किया गया है. वहीं सीबीआई निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच जल्द से जल्द पूरी करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी.
एमके राउत छत्तीसगढ़ के तेजतर्रार आईएएस रहे हैं. वे रायपुर व बिलासपुर के कलेक्टर के अलावा कई महत्वपूर्ण विभागों के सचिव रह चुके हैं. वे अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए थे. मूलत: ओडिशा के राउत 1984 बैच के आईएएस थे.
विवेक ढांड 1981 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. वह Chhattisgarh के मूल निवासी हैं. ढांड 1 मार्च 2014 को राज्य के मुख्य सचिव बने थे. उनके नाम सबसे लंबे समय तक मुख्य सचिव बने रहने का रेकॉर्ड है. वह 3 साल 7 महीने से ज्यादा समय तक राज्य के मुख्य सचिव रहे. विवेक ढांड भूपेश बघेल की सरकार में नवाचार आयोग के अध्यक्ष पद पर काम कर चुके हैं. Chhattisgarh में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
(Udaipur Kiran) / उपेंद्र त्रिपाठी
(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा
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