जबलपुर/भोपाल, 04 नवंबर (Udaipur Kiran) . Madhya Pradesh उच्च न्यायालय ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए अनिवार्य ई-अटेंडेंस प्रणाली को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिससे इस नीति के बिना किसी न्यायिक बाधा के जारी रहने का रास्ता साफ हो गया है. मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि यह मामला कार्यपालिका की नीति के अंतर्गत आता है और इसमें अदालती हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. इस फैसले के बाद अब प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ई-अटेंडेंस प्रणाली के माध्यम से ही अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होगी.
दरअसल, शिक्षकों द्वारा राज्य शासन की ई-अटेंडेंस व्यवस्था के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी. यह याचिका अतिथि शिक्षक समन्वय समिति अशोकनगर के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह द्वारा दायर की गई थी. उन्होंने 20 जून 2025 को राज्य सरकार द्वारा जारी उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत 1 जुलाई 2025 से पूरे प्रदेश में शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस अनिवार्य कर दी गई थी.
उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि ग्रामीण और अंचल क्षेत्रों में डिजिटल ढांचा कमजोर है, जिससे मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट कनेक्टिविटी में गंभीर कठिनाइयां हैं. इसके अतिरिक्त, कई शिक्षक स्मार्टफोन खरीदने में Assamर्थ हैं, जिससे उनके लिए ई-अटेंडेंस दर्ज करना व्यावहारिक रूप से कठिन हो जाता है.
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता निलेश यादव ने पक्ष रखा और यह तर्क दिया कि ई-अटेंडेंस प्रणाली पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से लागू की गई है और इसे लागू करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है. यह प्लेटफॉर्म रीयल-टाइम निगरानी को बढ़ावा देता है, प्रॉक्सी शिक्षण पर अंकुश लगाता है, और डेटा-आधारित स्थानांतरणों और पदोन्नति में योगदान देता है. उन्होंने पीठ को आश्वस्त किया कि कम कवरेज वाले क्षेत्रों के लिए ऑफलाइन विकल्प मौजूद हैं. जिला अधिकारियों ने कर्मचारियों को जियो-टैग किए गए फोटो अपलोड से परिचित कराने के लिए व्यावहारिक सत्र आयोजित किए हैं.
उच्च न्यायालय ने सभी तर्कों को सुनने के बाद याचिका को खारिज करते हुए सरकार के आदेश को वैध माना. इस फैसले के बाद अब शिक्षकों को अपनी दैनिक उपस्थिति केवल ई-अटेंडेंस पोर्टल या ऐप के माध्यम से दर्ज करनी होगी.
शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने फैसले का किया स्वागत
अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशिक्षण में तेज़ी आने और दूर दराज के इलाकों तक सिग्नल बूस्टर पहुंचने के साथ ही अनुपालन दर 90 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है. राज्य के शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह 1.2 लाख स्कूलों के लाखों छात्रों को शिक्षा प्रदान करने वाले इस क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के प्रयासों को मान्यता देता है.
(Udaipur Kiran) तोमर
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