नई दिल्ली, 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली उच्च न्यायालय दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपितों उमर खालिद और शरजील इमाम समेत 9 आरोपितों की जमानत याचिकाओं पर 2 सितंबर को फैसला सुनाएगा। जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच जमानत याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा।
उच्च न्यायालय ने सभी 9 आरोपितों की जमानत याचिका पर 9 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। उच्च न्यायालय उमर खालिद और शरजील इमाम समेत जिन आरोपितों के खिलाफ फैसला सुनाएगा उनमें अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद शामिल हैं।
जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगर आरोपी देश के खिलाफ कार्रवाई करें तो उनके लिए बेहतर जगह जेल ही है। मेहता ने कहा था कि दिल्ली में दंगे पूर्व नियोजित थे। दंगों की जिस तरह से योजना बनाई गई थी वो किसी को जमानत का हक नहीं देता है। ये कोई साधारण अपराध नहीं है बल्कि सुनियोजित दंगों की साजिश रचने का मामला है। मेहता ने कहा था कि दंगों की साजिश रचने के आरोपी इसका प्रभाव पूरे देश में देखना चाहते थे।
इस मामले के आरोपित उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि महज व्हाट्स ऐप ग्रुप का सदस्य होना किसी अपराध में शामिल होने का सबूत नहीं है। उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने दिल्ली पुलिस की ओर से साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए व्हाट्स ऐप ग्रुप चैटिंग पर कहा था कि उमर खालिद तीन व्हाट्स ऐप ग्रुप में शामिल जरुर था लेकिन शायद ही किसी ग्रुप में मैसेज भेजा हो। उन्होंने कहा था कि किसी व्हाट्स ऐप ग्रुप में शामिल होना भर किसी गलती का संकेत नहीं है। उन्होंने कहा था कि उमर खालिद ने किसी के पूछने पर केवल विरोध स्थल का लोकेशन शेयर किया था।
आरोपित मीरान हैदर के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा था कि उसने न तो किसी बैठक में हिस्सा लिया था और न ही किसी वैसे चैट ग्रुप का हिस्सा था जहां हिंसा भड़काने की साजिश पर कोई बात हुई हो। उन्होंने कहा कि मीरान हैदर एक युवा नेता था और जामिया विश्वविद्यालय का छात्र था। मीरान हैदर ने केवल नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था न कि किसी दंगा भड़काने की साजिश रचने में। उसके पास से कोई हथियार बरामद नहीं किया गया था।
इसके पहले दिल्ली पुलिस ने आरोपितों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि ट्रायल में देरी का मतलब फ्री पास नहीं है। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा था कि इस मामले में ट्रायल में देरी की वजह अभियोजन पक्ष नहीं है बल्कि ट्रायल में देरी आरोपितों की वजह से हो रही है। उन्होंने कहा था कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर सुनवाई चल रही है। आरोप तय करने के मामले में दूसरे आरोपित की ओर से दलीलें खत्म की गई है। आरोपितों की ओर से दलीलें रखने में देरी की जा रही है। चेतन शर्मा ने कहा था कि तेज ट्रायल जरुरी है लेकिन राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के मामले में लंबे समय तक जेल में रखने को जमानत देने का आधार नहीं बनाया जा सकता है। बता दें कि फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग घायल हुए थे।
(Udaipur Kiran) /संजय
—————
(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
You may also like
एशिया कप: भारत 21 रन से जीता, ओमान की हो रही तारीफ़
Amazon Great Indian Festival Sale: ग्राहकों की मौज, OnePlus 13s पर मिलेगी 7000 रुपए की बंपर छूट!
ब्लड प्रेशर को नजरअंदाज किया` तो तैयार रहिए हार्ट अटैक अंधापन और हड्डियों के टूटने जैसे अंजाम के लिए जानिए कैसे करें काबू
जन्म के दिन से जानिए` कैसी है आपकी पर्सनेलिटी दूसरों के राज भी जान सकते हैं आप
ACB Raid: रिश्वतखोरी में डूबे SDM और रीडर, 1.5 लाख की डील में 80 हजार लेते हुए ट्रैप