नई दिल्ली/वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से परमाणु बम परीक्षण करने की घोषणा कर दुनिया को चौंका दिया है। इसमें कोई शक नहीं कि चीन, उत्तर कोरिया और रूस जैसे देश सीक्रेट तरीके से परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। ट्रंप की घोषणा ने बीजिंग, प्योंगयोंग और मॉस्को में धड़कने बढ़ा दी हैं। इसके कुछ ही दिनों बाद, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने सुरक्षा परिषद को न्यूक्लियर टेस्ट की तैयारी करने को कहा है। जिसके बाद एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर वाकई अमेरिका परमाणु परीक्षण शुरू करता है, तो रूस और चीन भी उसी रास्ते पर चल सकते हैं, जिससे एक नई वैश्विक परमाणु दौड़ शुरू हो सकती है।
इस बीच, रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोउसॉव ने 5 नवंबर को बताया है कि नोवाया जेमल्या द्वीपसमूह पर स्थित रूस के केंद्रीय परमाणु परीक्षण स्थल पर परीक्षणों की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा है कि थोड़े ही समय में यहां पर परमाणु परीक्षण संभव हैं। यह वही जगह है जहां 1961 में सोवियत संघ ने अब तक का सबसे बड़ा परमाणु बम Tsar Bomba, जिसकी क्षमता 50 मेगाटन की है, उसका परीक्षण किया था।
दुनिया के 9 देशों के पास विनाशक परमाणु बम
आज तक दुनिया में नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं, जिनमें से सिर्फ इजरायल ने ही कभी नहीं कहा है कि उसने परमाणु परीक्षण किया है। लेकिन दुनिया में हर किसी के पास है कि इजरायल के पास परमाणु बम है। इजरायल के अलावा बाकी आठ देशों जैसे अमेरिका, रूस , चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और ब्रिटेन ने अब तक कुल मिलाकर 2,000 से ज्यादा परमाणु परीक्षण किए हैं। इनका 80% से अधिक हिस्सा अमेरिका और सोवियत संघ ने 1945 से 1992 के बीच किया था, जब वो शीतयुद्ध में फंसे हुए थे। इसीलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि परमाणु परीक्षण के लिए किसी स्थल का चुनाव कैसे किया जाता है?
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में लिखते हुए सीनियर डिफेंस जर्नलिस्ट संदीप उन्नीनाथन ने लिखा है कि एक परमाणु परीक्षण स्थल चुनना आसान नहीं होता, इसके लिए काफी मेहनत मशक्कत करनी पड़ती है। इसमें भूगर्भीय स्थिरता, जलविज्ञान यानि हाइड्रोलॉजी और बफर जोन जैसे चीजों के आधार पर न्यूक्लियर टेस्ट साइट का चुनाव किया जाता है। संदीप ने लिखा है कि परीक्षण स्थल ऐसे क्षेत्र में होना चाहिए जहां भूकंपीय गतिविधि कम हो, चट्टानें ठोस और सूखी हों ताकि रेडियोधर्मी गैस बाहर न निकल सके और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उस क्षेत्र में इंसानी बस्तियां ना हों। उदाहरण के लिए, भारत के पोखरण परीक्षण क्षेत्र में पानी की सतह जमीन से 500 मीटर से भी नीचे है, जिससे रेडियोधर्मी प्रदूषण का पानी में फैलने का खतरा नहीं रहता।
अमेरिका-- अमेरिका परमाणु हथियारों का परीक्षण और प्रयोग करने वाला पहला देश था। उसने अपना पहला बम न्यू मैक्सिको के व्हाइट सैंड्स में परीक्षण किया था। नेवादा राज्य में अमेरिका का नेवादा राष्ट्रीय सुरक्षा परीक्षण स्थल है। अमेरिका के मार्शल द्वीप समूह में बिकिनी और एनेवेटक एटोल भी परीक्षण स्थल हैं। अमेरिका ने 1992 के बाद से किसी भी हथियार का परीक्षण नहीं किया है, और उसके सभी स्थल निष्क्रिय या बंद हैं। बेशक, अमेरिका इनमें से कुछ स्थलों को परीक्षण फिर से शुरू करने के लिए फिर से खोल सकता है।
रूस-- रूस का प्रमुख परीक्षण केंद्र सेमिपालातिंस्क था, जो अब कजाखस्तान में है। अब रूस नोवाया जेमल्या द्वीप पर नई सुरंगें बना रहा है। अगर रूस परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की योजना बनाता है, तो वह अपने हथियारों का परीक्षण यहीं करेगा। इसी द्वीप पर सोवियत संघ ने 1961 में दुनिया के सबसे बड़े परमाणु बम, 50 मेगाटन के ज़ार बॉम्बा का परीक्षण किया था।
चीन-- चीन ने 1964 में शिनजियांग के लोप नूर में अपने पहले परमाणु हथियार का परीक्षण किया था। उसने 1996 तक यहां कई परमाणु परीक्षण किए। इस क्षेत्र को इसके एकांत और वीरान होने के कारण चुना गया था। यह लगभग 1,00,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
उत्तर कोरिया-- उत्तर कोरिया 2017 में परमाणु परीक्षण करने वाला दुनिया का आखिरी देश था। इसका परमाणु परीक्षण स्थल पुंग्ये-री है, जो हर्मिट किंगडम के एक सुदूर पहाड़ी इलाके में स्थित है। उत्तर कोरिया ने 2006 से 2017 के बीच यहां छह परमाणु परीक्षण किए। मई 2018 में, प्योंगयांग ने घोषणा की कि वह इस सुविधा को बंद कर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों की उपस्थिति में एक समारोह में सुरंगों को नष्ट कर दिया गया।
फ्रांस-- फ्रांस ने अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण अपने विदेशी उपनिवेशों में किया है। जैसे अल्जीरिय के सहारा में, जहां उसने 200 से ज्यादा परमाणु परीक्षण किए हैं और फ्रेंच पोलिनेशिया के मुरुरोआ एटोल में भी उसने 1996 में 190 से ज्यादा परमाणु परीक्षण किए थे।
भारत-- भारत ने 1974 में राजस्थान के पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था और उसके बाद साल 1998 में पांच और परमाणु बमों का कामयाब परीक्षण करते हुए खुद को दुनिया का छठा परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित किया। इसके बाद भारत ने आगे के परीक्षणों पर स्वैच्छिक मोराटोरियम (पाबंदी) की घोषणा कर दी।
पाकिस्तान-- पाकिस्तान ने 1998 में बलूचिस्तान के चागाई पर्वत में पांच परमाणु परीक्षण किए थे, जिन्हें “चागाई-I” और “चागाई-II” कहा गया। ऐसा करके पाकिस्तान परमाणु बम रखने वाला दुनिया का सातवां देश बन गया।
ब्रिटेन-- ब्रिटेन ने अपने परीक्षण ऑस्ट्रेलिया के माउंट बेल्लो आइलैंड, एमु फील्ड और मारेलिंगा में किए और बाद में अमेरिका के नेवादा साइट का भी इस्तेमाल ब्रिटेन के परमाणु बम के परीक्षण के लिए किया। आज ब्रिटेन के परमाणु हथियार अमेरिकी डिजाइन पर आधारित हैं, इसलिए उनके परीक्षण भी अमेरिका पर निर्भर हैं। कहा जाता है कि ब्रिटेन, अमेरिका की मर्जी के बिना अपने परमाणु बमों का ना तो इस्तेमाल कर सकता है और ना ही उसे अपनी मर्जी से किसी और देश में तैनाती कर सकता है।
इस बीच, रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोउसॉव ने 5 नवंबर को बताया है कि नोवाया जेमल्या द्वीपसमूह पर स्थित रूस के केंद्रीय परमाणु परीक्षण स्थल पर परीक्षणों की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा है कि थोड़े ही समय में यहां पर परमाणु परीक्षण संभव हैं। यह वही जगह है जहां 1961 में सोवियत संघ ने अब तक का सबसे बड़ा परमाणु बम Tsar Bomba, जिसकी क्षमता 50 मेगाटन की है, उसका परीक्षण किया था।
दुनिया के 9 देशों के पास विनाशक परमाणु बम
आज तक दुनिया में नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं, जिनमें से सिर्फ इजरायल ने ही कभी नहीं कहा है कि उसने परमाणु परीक्षण किया है। लेकिन दुनिया में हर किसी के पास है कि इजरायल के पास परमाणु बम है। इजरायल के अलावा बाकी आठ देशों जैसे अमेरिका, रूस , चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और ब्रिटेन ने अब तक कुल मिलाकर 2,000 से ज्यादा परमाणु परीक्षण किए हैं। इनका 80% से अधिक हिस्सा अमेरिका और सोवियत संघ ने 1945 से 1992 के बीच किया था, जब वो शीतयुद्ध में फंसे हुए थे। इसीलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि परमाणु परीक्षण के लिए किसी स्थल का चुनाव कैसे किया जाता है?
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में लिखते हुए सीनियर डिफेंस जर्नलिस्ट संदीप उन्नीनाथन ने लिखा है कि एक परमाणु परीक्षण स्थल चुनना आसान नहीं होता, इसके लिए काफी मेहनत मशक्कत करनी पड़ती है। इसमें भूगर्भीय स्थिरता, जलविज्ञान यानि हाइड्रोलॉजी और बफर जोन जैसे चीजों के आधार पर न्यूक्लियर टेस्ट साइट का चुनाव किया जाता है। संदीप ने लिखा है कि परीक्षण स्थल ऐसे क्षेत्र में होना चाहिए जहां भूकंपीय गतिविधि कम हो, चट्टानें ठोस और सूखी हों ताकि रेडियोधर्मी गैस बाहर न निकल सके और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उस क्षेत्र में इंसानी बस्तियां ना हों। उदाहरण के लिए, भारत के पोखरण परीक्षण क्षेत्र में पानी की सतह जमीन से 500 मीटर से भी नीचे है, जिससे रेडियोधर्मी प्रदूषण का पानी में फैलने का खतरा नहीं रहता।
अमेरिका-- अमेरिका परमाणु हथियारों का परीक्षण और प्रयोग करने वाला पहला देश था। उसने अपना पहला बम न्यू मैक्सिको के व्हाइट सैंड्स में परीक्षण किया था। नेवादा राज्य में अमेरिका का नेवादा राष्ट्रीय सुरक्षा परीक्षण स्थल है। अमेरिका के मार्शल द्वीप समूह में बिकिनी और एनेवेटक एटोल भी परीक्षण स्थल हैं। अमेरिका ने 1992 के बाद से किसी भी हथियार का परीक्षण नहीं किया है, और उसके सभी स्थल निष्क्रिय या बंद हैं। बेशक, अमेरिका इनमें से कुछ स्थलों को परीक्षण फिर से शुरू करने के लिए फिर से खोल सकता है।
रूस-- रूस का प्रमुख परीक्षण केंद्र सेमिपालातिंस्क था, जो अब कजाखस्तान में है। अब रूस नोवाया जेमल्या द्वीप पर नई सुरंगें बना रहा है। अगर रूस परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की योजना बनाता है, तो वह अपने हथियारों का परीक्षण यहीं करेगा। इसी द्वीप पर सोवियत संघ ने 1961 में दुनिया के सबसे बड़े परमाणु बम, 50 मेगाटन के ज़ार बॉम्बा का परीक्षण किया था।
चीन-- चीन ने 1964 में शिनजियांग के लोप नूर में अपने पहले परमाणु हथियार का परीक्षण किया था। उसने 1996 तक यहां कई परमाणु परीक्षण किए। इस क्षेत्र को इसके एकांत और वीरान होने के कारण चुना गया था। यह लगभग 1,00,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
उत्तर कोरिया-- उत्तर कोरिया 2017 में परमाणु परीक्षण करने वाला दुनिया का आखिरी देश था। इसका परमाणु परीक्षण स्थल पुंग्ये-री है, जो हर्मिट किंगडम के एक सुदूर पहाड़ी इलाके में स्थित है। उत्तर कोरिया ने 2006 से 2017 के बीच यहां छह परमाणु परीक्षण किए। मई 2018 में, प्योंगयांग ने घोषणा की कि वह इस सुविधा को बंद कर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों की उपस्थिति में एक समारोह में सुरंगों को नष्ट कर दिया गया।
फ्रांस-- फ्रांस ने अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण अपने विदेशी उपनिवेशों में किया है। जैसे अल्जीरिय के सहारा में, जहां उसने 200 से ज्यादा परमाणु परीक्षण किए हैं और फ्रेंच पोलिनेशिया के मुरुरोआ एटोल में भी उसने 1996 में 190 से ज्यादा परमाणु परीक्षण किए थे।
भारत-- भारत ने 1974 में राजस्थान के पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था और उसके बाद साल 1998 में पांच और परमाणु बमों का कामयाब परीक्षण करते हुए खुद को दुनिया का छठा परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित किया। इसके बाद भारत ने आगे के परीक्षणों पर स्वैच्छिक मोराटोरियम (पाबंदी) की घोषणा कर दी।
पाकिस्तान-- पाकिस्तान ने 1998 में बलूचिस्तान के चागाई पर्वत में पांच परमाणु परीक्षण किए थे, जिन्हें “चागाई-I” और “चागाई-II” कहा गया। ऐसा करके पाकिस्तान परमाणु बम रखने वाला दुनिया का सातवां देश बन गया।
ब्रिटेन-- ब्रिटेन ने अपने परीक्षण ऑस्ट्रेलिया के माउंट बेल्लो आइलैंड, एमु फील्ड और मारेलिंगा में किए और बाद में अमेरिका के नेवादा साइट का भी इस्तेमाल ब्रिटेन के परमाणु बम के परीक्षण के लिए किया। आज ब्रिटेन के परमाणु हथियार अमेरिकी डिजाइन पर आधारित हैं, इसलिए उनके परीक्षण भी अमेरिका पर निर्भर हैं। कहा जाता है कि ब्रिटेन, अमेरिका की मर्जी के बिना अपने परमाणु बमों का ना तो इस्तेमाल कर सकता है और ना ही उसे अपनी मर्जी से किसी और देश में तैनाती कर सकता है।
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