अकोला   : महाराष्ट्र के अकोला जिले में कुछ गांवों के किसानों ने भारी बारिश के कारण फसल को हुए नुकसान के लिए केंद्रीय बीमा योजना के तहत मात्र तीन रुपये से 21 रुपये तक का मुआवजा मिलने का आरोप लगाया तथा इस सहायता को उनकी दुर्दशा का मजाक करार दिया।   प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत दिवाली से पहले मिली इस वित्तीय सहायता पर निराशा व्यक्त करते हुए किसानों ने बृहस्पतिवार को जिला कलेक्टर कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया और चेक के माध्यम से राशि वापस कर दी। किसानों ने कहा कि यह राहत नहीं बल्कि किसानों का मजाक है।’   
   
   
     
बता दें कि अकोला जिले में सितंबर में हुई भारी बारिश के कारण सोयाबीन, कपास और मूंग की फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचा। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया था कि दिवाली से पहले प्रभावित किसानों को आर्थिक राहत प्रदान की जाएगी। किसानों के अनुसार, उन्होंने मुआवजा प्रक्रिया के लिए राजस्व अधिकारियों को अपने भूमि रिकॉर्ड, आधार और बैंक विवरण सहित सभी आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए थे। हालांकि कई किसानों ने कहा कि सरकार के पास धन उपलब्ध होने के बावजूद धनराशि के अंतरित किए जाने में देरी हुई। कुछ किसानों ने स्थानीय राजस्व कर्मचारियों द्वारा औपचारिकताएं पूरी करने में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया।
     
   
जमा की गई राशि तीन रुपये से लेकर 21.85 रुपये
किसानों ने बताया कि पीएमएफबीवाई के तहत मुआवजे की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा की जाती है लेकिन कई मामलों में जमा की गई राशि तीन रुपये से लेकर 21.85 रुपये तक थी। दिनोदा गांव के एक किसान ने कहा कि हमारी सारी फसलें बर्बाद हो गई और वे (सरकार) हमसे यह (वित्तीय सहायता) स्वीकार करने की उम्मीद करते हैं? यह किसानों का अपमान है। मुआवजे के रूप में मामूली रकम मिलने से नाराज दिनोदा, कवसा और कुटासा गांवों के किसानों ने जिला कलेक्टर कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया और कलेक्टर को चेक सौंपकर राशि वापस कर दी।
   
सरकार से पूछा- ये कैसी राहत
प्रदर्शनकारियों ने पूछा कि यह कैसी राहत है? जब हमें भारी नुकसान हुआ है तो इतने कम रुपये से क्या मदद मिल सकती है? युवा कांग्रेस प्रवक्ता कपिल ढोके ने कहा कि अगर आप किसान का सम्मान नहीं कर सकते तो कम से कम उनका अपमान तो न करें। यह सहायता नहीं बल्कि उपहास है। किसान समूहों ने सरकार से मुआवजे के आंकड़ों की समीक्षा करने और वास्तविक नुकसान के आकलन के आधार पर उचित भुगतान की घोषणा करने की मांग की है।
   
  
बता दें कि अकोला जिले में सितंबर में हुई भारी बारिश के कारण सोयाबीन, कपास और मूंग की फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचा। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया था कि दिवाली से पहले प्रभावित किसानों को आर्थिक राहत प्रदान की जाएगी। किसानों के अनुसार, उन्होंने मुआवजा प्रक्रिया के लिए राजस्व अधिकारियों को अपने भूमि रिकॉर्ड, आधार और बैंक विवरण सहित सभी आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए थे। हालांकि कई किसानों ने कहा कि सरकार के पास धन उपलब्ध होने के बावजूद धनराशि के अंतरित किए जाने में देरी हुई। कुछ किसानों ने स्थानीय राजस्व कर्मचारियों द्वारा औपचारिकताएं पूरी करने में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया।
जमा की गई राशि तीन रुपये से लेकर 21.85 रुपये
किसानों ने बताया कि पीएमएफबीवाई के तहत मुआवजे की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा की जाती है लेकिन कई मामलों में जमा की गई राशि तीन रुपये से लेकर 21.85 रुपये तक थी। दिनोदा गांव के एक किसान ने कहा कि हमारी सारी फसलें बर्बाद हो गई और वे (सरकार) हमसे यह (वित्तीय सहायता) स्वीकार करने की उम्मीद करते हैं? यह किसानों का अपमान है। मुआवजे के रूप में मामूली रकम मिलने से नाराज दिनोदा, कवसा और कुटासा गांवों के किसानों ने जिला कलेक्टर कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया और कलेक्टर को चेक सौंपकर राशि वापस कर दी।
सरकार से पूछा- ये कैसी राहत
प्रदर्शनकारियों ने पूछा कि यह कैसी राहत है? जब हमें भारी नुकसान हुआ है तो इतने कम रुपये से क्या मदद मिल सकती है? युवा कांग्रेस प्रवक्ता कपिल ढोके ने कहा कि अगर आप किसान का सम्मान नहीं कर सकते तो कम से कम उनका अपमान तो न करें। यह सहायता नहीं बल्कि उपहास है। किसान समूहों ने सरकार से मुआवजे के आंकड़ों की समीक्षा करने और वास्तविक नुकसान के आकलन के आधार पर उचित भुगतान की घोषणा करने की मांग की है।
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