मुंबई: मुंबई पुलिस की CIU ने BARC के फर्जी वैज्ञानिक बनकर जासूसी करने के आरोप में जिस अख्तर हुसैनी (59) को गिरफ्तार किया, आरोप है कि वह अपने छोटे भाई आदिल हुसैनी (51) के साथ मिलकर BARC (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर) में प्रवेश करने के फिराक में था। इसके लिए दोनों भाईयों ने BARC वैज्ञानिक वाले 3 फर्जी आईडी कार्ड बना रखे थे। आदिल को दिल्ली की स्पेशल सेल अरेस्ट कर पुलिस रिमांड में पूछताछ कर रही है जबकि अख्तर मुंबई पुलिस की कस्टडी में है।   
   
सूत्र बताते हैं कि पूछताछ में हुसैनी बंधुओं ने बताया कि वे लोग BARC के एक कर्मचारी से संपर्क कर रहे थे। BARC का लोगो और अन्य आधिकारिक दस्तावेज की फर्जी कॉपी तैयार कर खुद को वैज्ञानिक साबित कर सेंटर में प्रवेश करने की फिराक में थे। इससे पहले कि वे अपने इस नापाक मकसद में कामयाब होते, इन्हें अरेस्ट कर लिया।
     
इस मामले में सीआईयू ने झारखंड से मुनाजिर को भी अरेस्ट किया है, जो वहां साइबर कैफे चलाता था और हुसैनी बंधुओं द्वारा भेजे गए गोपनीय दस्तावेज को कथित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को भेजता था। आदिल हुसैनी ने पूछताछ में रसियन साइंटिस्ट से परमाणु से संबंधित कुछ डिजाइन लेकर ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन (AEOI) के एक एजेंट को बेचने की बात कही।
     
सूत्रों का दावा है कि हुसैनी बंधू न्यूक्लियर जासूसी नेटवर्क पर काम कर रहा था, जिसके तार ईरान और रूस के परमाणु ढांचे से जुड़े हो सकते हैं, क्योंकि यह गिरोह ISI हैंडलरों के संपर्क में है। अख्तर के वर्सोवा वाले घर से 17 संवेदशनशील नक्शे एजेंसियों को मिले हैं, जिसकी जांच जारी है।
  
सूत्र बताते हैं कि पूछताछ में हुसैनी बंधुओं ने बताया कि वे लोग BARC के एक कर्मचारी से संपर्क कर रहे थे। BARC का लोगो और अन्य आधिकारिक दस्तावेज की फर्जी कॉपी तैयार कर खुद को वैज्ञानिक साबित कर सेंटर में प्रवेश करने की फिराक में थे। इससे पहले कि वे अपने इस नापाक मकसद में कामयाब होते, इन्हें अरेस्ट कर लिया।
इस मामले में सीआईयू ने झारखंड से मुनाजिर को भी अरेस्ट किया है, जो वहां साइबर कैफे चलाता था और हुसैनी बंधुओं द्वारा भेजे गए गोपनीय दस्तावेज को कथित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को भेजता था। आदिल हुसैनी ने पूछताछ में रसियन साइंटिस्ट से परमाणु से संबंधित कुछ डिजाइन लेकर ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन (AEOI) के एक एजेंट को बेचने की बात कही।
सूत्रों का दावा है कि हुसैनी बंधू न्यूक्लियर जासूसी नेटवर्क पर काम कर रहा था, जिसके तार ईरान और रूस के परमाणु ढांचे से जुड़े हो सकते हैं, क्योंकि यह गिरोह ISI हैंडलरों के संपर्क में है। अख्तर के वर्सोवा वाले घर से 17 संवेदशनशील नक्शे एजेंसियों को मिले हैं, जिसकी जांच जारी है।
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