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Rail Neer Price Cut: रेल नीर सस्ता, लेकिन 1 रुपये कौन लौटाएगा भाई? सवाल उठने की वजह समझिए

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नई दिल्‍ली: रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी है। भारतीय रेलवे ने रेल नीर की कीमतों में कटौती की है। यह कटौती जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) की दरों में हाल ही में हुई कमी के बाद की गई है। इसका मकसद टैक्स में कमी का फायदा सीधे ग्राहकों तक पहुंचाना है। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू होगा। रेल नीर की बोतल अब 1 रुपये सस्ती मिलेगी। हालांकि, इसे लेकर लोगों के मन में एक सवाल भी है। भला 1 रुपये खुला कौन लौटाएगा। पहले 15 रुपये की रेल नीर बोतल को 20 रुपये में बेचने की शिकायतें मिलती रही हैं। कई बार खुले न होने का बहाना बनाकर इसकी बिक्री 5 रुपये ज्‍यादा में कर दी जाती है।



रेलवे ने रेल नीर की बोतलों की MRP (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) कम कर दी है। 1 लीटर की बोतल अब 14 रुपये में मिलेगी। पहले यह 15 रुपये में मिलती थी। इसी तरह आधा लीटर की बोतल अब 9 रुपये में मिलेगी। पहले यह 10 रुपये में मिलती थी। रेलवे बोर्ड ने 20 सितंबर को सभी जनरल मैनेजरों और आईआरसीटीसी (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन) के सीएमडी को एक पत्र भेजा है।



पत्र में क्‍या ल‍िखा है?पत्र में लिखा है, 'पैकेज्ड पेयजल बोतल 'रेल नीर' की अधिकतम खुदरा मूल्य एक लीटर की बोतल के लिए 15 रुपये से संशोधित कर 14 रुपये और 500 मिलीलीटर क्षमता की बोतल के लिए 10 रुपये से संशोधित कर 9 रुपये किया जाएगा।' इसका मतलब है कि अब रेल नीर की बोतल 1 रुपये सस्ते मिलेगी।



रेलवे बोर्ड ने आगे कहा, 'रेलवे परिसर/ट्रेनों में बेची जाने वाली IRCTC/रेलवे की ओर से शॉर्टलिस्ट की गई अन्य ब्रांडों की पैकेज्ड पेयजल बोतलों की अधिकतम खुदरा मूल्य भी एक लीटर की बोतल के लिए 15 रुपये से संशोधित कर 14 रुपये और 500 मिलीलीटर क्षमता की बोतल के लिए 10 रुपये से संशोधित कर 9 रुपये किया जाएगा।' यानी दूसरी कंपनियों की पानी की बोतलें भी सस्ती होंगी।



कब से म‍िलेगा फायदा?रेलवे बोर्ड ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस नए नियम को 22 सितंबर, 2025 से लागू करें। इसका मतलब है कि 22 सितंबर, 2025 से सस्ती रेल नीर बोतल मिलेगी।



रेल नीर आईआरसीटीसी का खास प्रोडक्ट है। इसे रेल यात्रियों के लिए बेहतर सुविधा देने के लिए शुरू किया गया था। आईआरसीटीसी ने अपना पहला प्लांट 2003 में पश्चिम दिल्ली के नांगलोई में लगाया था। इसका मकसद नई दिल्ली और निजामुद्दीन से चलने वाली राजधानी और शताब्दी ट्रेनों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना था।
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