नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेटर मयंक अग्रवाल, जो पिछले साल आईपीएल मेगा ऑक्शन में अनसोल्ड रह गए थे, उन्होंने वापसी करते हुए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को उसका पहला IPL खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई। चोटिल देवदत्त पडिक्कल के रिप्लेसमेंट के तौर पर टीम में शामिल हुए मयंक ने हाल ही में ऑक्शन में मिली निराशा और RCB के साथ अपने ऐतिहासिक सफर के बारे में खुलकर बात की।
ऑक्शन के झटके से उबरना
ऑक्शन में अनदेखा किए जाने के बाद मयंक अग्रवाल ने खुद को निराशा से उबरने के लिए 6 से 8 घंटे का समय दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि उस समय उनके मन में कई नकारात्मक विचार आए। हालांकि, उन्होंने तुरंत खुद से ईमानदारी से कहा, 'हां, तुम्हें नहीं चुना गया।' उन्होंने ऑक्शन की बातों पर ध्यान देने के बजाय, उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया जिनमें सुधार की जरूरत थी। उन्होंने अपने बैटिंग कोच के साथ मिलकर सुधार के बिंदुओं की सूची बनाई और तुरंत कड़ी मेहनत शुरू कर दी।
एंडी फ्लावर के सामने दिया ट्रायल
मयंक को RCB में शामिल होने का मौका तब मिला जब देवदत्त पडिक्कल चोटिल हुए। लेकिन इस मौके को भुनाने के लिए उन्हें हेड कोच एंडी फ्लावर के सामने एक ट्रायल देना पड़ा। फ्लावर ने मयंक को साफ संदेश दिया था, 'यह एक सेलेक्शन मैच है; इसे बनाओ या तोड़ो।' मयंक को यह सीधी चुनौती पसंद आई। उन्होंने ट्रायल में शानदार प्रदर्शन किया, जिससे कोच खुश हुए और उन्हें लगा कि मयंक तुरंत खेलने के लिए तैयार हैं।
RCB के लिए बने टाइटल विनर
मयंक अग्रवाल का प्रदर्शन RCB के लिए निर्णायक रहा। RCB के लिए अपने चार मैचों में मयंक ने 148.43 के प्रभावशाली स्ट्राइक रेट से 95 रन बनाए, जो उनके पिछले सीजन के स्ट्राइक रेट से काफी बेहतर था। पंजाब किंग्स के खिलाफ फाइनल मैच में उन्होंने 18 गेंदों पर 24 रन का महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने RCB को 18 साल के लंबे इंतजार के बाद अपना पहला IPL खिताब जीतने में मदद की। मयंक अग्रवाल का यह सफर साबित करता है कि कड़ी मेहनत और सही मानसिकता से एक खिलाड़ी ऑक्शन में मिली निराशा को भी ऐतिहासिक जीत में बदल सकता है।
ऑक्शन के झटके से उबरना
ऑक्शन में अनदेखा किए जाने के बाद मयंक अग्रवाल ने खुद को निराशा से उबरने के लिए 6 से 8 घंटे का समय दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि उस समय उनके मन में कई नकारात्मक विचार आए। हालांकि, उन्होंने तुरंत खुद से ईमानदारी से कहा, 'हां, तुम्हें नहीं चुना गया।' उन्होंने ऑक्शन की बातों पर ध्यान देने के बजाय, उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया जिनमें सुधार की जरूरत थी। उन्होंने अपने बैटिंग कोच के साथ मिलकर सुधार के बिंदुओं की सूची बनाई और तुरंत कड़ी मेहनत शुरू कर दी।
एंडी फ्लावर के सामने दिया ट्रायल
मयंक को RCB में शामिल होने का मौका तब मिला जब देवदत्त पडिक्कल चोटिल हुए। लेकिन इस मौके को भुनाने के लिए उन्हें हेड कोच एंडी फ्लावर के सामने एक ट्रायल देना पड़ा। फ्लावर ने मयंक को साफ संदेश दिया था, 'यह एक सेलेक्शन मैच है; इसे बनाओ या तोड़ो।' मयंक को यह सीधी चुनौती पसंद आई। उन्होंने ट्रायल में शानदार प्रदर्शन किया, जिससे कोच खुश हुए और उन्हें लगा कि मयंक तुरंत खेलने के लिए तैयार हैं।
RCB के लिए बने टाइटल विनर
मयंक अग्रवाल का प्रदर्शन RCB के लिए निर्णायक रहा। RCB के लिए अपने चार मैचों में मयंक ने 148.43 के प्रभावशाली स्ट्राइक रेट से 95 रन बनाए, जो उनके पिछले सीजन के स्ट्राइक रेट से काफी बेहतर था। पंजाब किंग्स के खिलाफ फाइनल मैच में उन्होंने 18 गेंदों पर 24 रन का महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने RCB को 18 साल के लंबे इंतजार के बाद अपना पहला IPL खिताब जीतने में मदद की। मयंक अग्रवाल का यह सफर साबित करता है कि कड़ी मेहनत और सही मानसिकता से एक खिलाड़ी ऑक्शन में मिली निराशा को भी ऐतिहासिक जीत में बदल सकता है।
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