गाजियाबाद/नोएडा: दिवाली के अगले दिन मंगलवार को गाजियाबाद का वायु सूचकांक 324 दर्ज किया, जबकि दिवाली से एक दिन पहले रविवार को एक्यूआई 333 तक पहुंच गया था। वहीं, सोमवार को 316 दर्ज किया गया। माना जा रहा है कि इस बार दिवाली का त्योहार दो हिस्सों में बंट गया। इसका सीधा असर प्रदूषण के स्तर पर देखने को मिला है। अधिकांश लोगों ने 20 अक्टूबर को दिवाली मनाई, जबकि कुछ परिवारों ने 21 अक्टूबर को भी इसे मनाया। इसके चलते आमतौर पर दिवाली के अगले दिन प्रदूषण के स्तर में जो भारी उछाल आता था, वह इस बार सीमित रहा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दिवाली के अगले दिन को वायु गुणवत्ता सूचकांक (अकी) 324 रेकॉर्ड किया गया। यह स्तर बहुत खराब की श्रेणी में आता है। हालांकि, त्योहार से ठीक पहले 19 अक्टूबर को अकी 333 तक पहुंच गया था। इस तुलना से स्पष्ट होता है कि दिवाली के कारण प्रदूषण में कोई बड़ा या अप्रत्याशित उछाल दर्ज नहीं हुआ। अगर पिछले वर्षों के रेकॉर्ड को देखें तो यह वृद्धि नियंत्रण में दिखाई देती है। 2024 में दिवाली के बाद अकी 306 रिकॉर्ड किया गया था।
2023 में दिवाली के अगले दिन एक्यूआई 329 दर्ज किया गया था। इस साल का एक्यूआई 324 रहा। यहां के पर्यावरणविदों का कहना है कि सबसे ज्यादा जर्जर रोड, सड़कों से उड़ती धूल और कूड़े के ढेर में आग लगाने से गाने से हालात खराब होती है। अधिकारियों को इन पर अंकुश लगाना चाहिए।
काफी प्रयास करने होंगे
मोबाइल और सरकारी आंकड़े में बड़ा अंतरसीपीसीबी के आंकड़ों और मोबाइल फोन एप्लिकेशन पर दिख रहे डेटा में बड़ा अतर देखने को मिला। जहां सीपीसीबी ने अकी 324 बताया, वहीं मोबाइल फोन में यह आंकड़ा 376 दिखा रहा था। जानकारों का कहना है कि मोबाइल ऐप्स अक्सर लोकल सेंसर और एक बड़े क्षेत्र के औसत डेटा पर निर्भर करते है, जबकि सीपीसीबी के मॉनिटरिंग स्टेशन अधिक सटीक आंकड़े जारी करते हैं।
दिल्ली-एनसीआर में चौथे नंबर पर नोएडादिवाली के अगले दिन मंगलवार को नोएडा में प्रदूषण का ग्राफ दिल्ली-एनसीआर में चौथे स्थान पर रहा। यदि पिछले साल से तुलना करें, तो इस बार दिवाली के अगले दिन प्रदूषण का स्तर अधिक रहा है। हालांकि 2022 और 2023 की तुलना में इस बार थोड़ी कमी दर्ज की गई है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। अगले कुछ दिनों में हवा की गति नहीं बढ़ी, तो प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है, जिससे सांस लेना और मुश्किल हो जाएगा।
दिवाली की रात जब पूरा शहर रोशनी में नहा रहा था, आतिशबाजी और हवा की धीमी गति के कारण नोएडा में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई थी। सोमवार देर रात 11 से 12 बजे के बीच, कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 372 से ऊपर दर्ज किया गया। अब प्रदूषण बढ़ता है तो नोएडा और ग्रेनो में निर्माण कार्यों पर ब्रेक लग सकता है।
देश के 10 प्रदूषित शहरों में आया नाममंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, नोएडा का औसत अकी 320 रहा, इससे यह एनसीआर में चौथे प्रदूषित शहर रहा। इतना ही नहीं नोएडा देश के शीर्ष-10 प्रदूषित शहरों में भी शामिल रहा। ग्रेनों का एक्यूआई 282 रहा, जो नोएडा से बेहतर था। दस दिनों में चौथी बार नोएडा का एक्यूआई 300 के पार पहुंचा है। पिछले सप्ताह ग्रैप-1 लागू होने के 24 घंटे में ही नोएडा का प्रदूषण ग्राफ ग्रैप-2 की श्रेणी में आ गया था। मौसम विभाग ने एनसीआर के कई इलाकों में स्मॉग की संभावना जताई है, जिसका असर बुधवार से नोएडा में भी देखने को मिल सकता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दिवाली के अगले दिन को वायु गुणवत्ता सूचकांक (अकी) 324 रेकॉर्ड किया गया। यह स्तर बहुत खराब की श्रेणी में आता है। हालांकि, त्योहार से ठीक पहले 19 अक्टूबर को अकी 333 तक पहुंच गया था। इस तुलना से स्पष्ट होता है कि दिवाली के कारण प्रदूषण में कोई बड़ा या अप्रत्याशित उछाल दर्ज नहीं हुआ। अगर पिछले वर्षों के रेकॉर्ड को देखें तो यह वृद्धि नियंत्रण में दिखाई देती है। 2024 में दिवाली के बाद अकी 306 रिकॉर्ड किया गया था।
2023 में दिवाली के अगले दिन एक्यूआई 329 दर्ज किया गया था। इस साल का एक्यूआई 324 रहा। यहां के पर्यावरणविदों का कहना है कि सबसे ज्यादा जर्जर रोड, सड़कों से उड़ती धूल और कूड़े के ढेर में आग लगाने से गाने से हालात खराब होती है। अधिकारियों को इन पर अंकुश लगाना चाहिए।
काफी प्रयास करने होंगे
मोबाइल और सरकारी आंकड़े में बड़ा अंतरसीपीसीबी के आंकड़ों और मोबाइल फोन एप्लिकेशन पर दिख रहे डेटा में बड़ा अतर देखने को मिला। जहां सीपीसीबी ने अकी 324 बताया, वहीं मोबाइल फोन में यह आंकड़ा 376 दिखा रहा था। जानकारों का कहना है कि मोबाइल ऐप्स अक्सर लोकल सेंसर और एक बड़े क्षेत्र के औसत डेटा पर निर्भर करते है, जबकि सीपीसीबी के मॉनिटरिंग स्टेशन अधिक सटीक आंकड़े जारी करते हैं।
दिल्ली-एनसीआर में चौथे नंबर पर नोएडादिवाली के अगले दिन मंगलवार को नोएडा में प्रदूषण का ग्राफ दिल्ली-एनसीआर में चौथे स्थान पर रहा। यदि पिछले साल से तुलना करें, तो इस बार दिवाली के अगले दिन प्रदूषण का स्तर अधिक रहा है। हालांकि 2022 और 2023 की तुलना में इस बार थोड़ी कमी दर्ज की गई है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। अगले कुछ दिनों में हवा की गति नहीं बढ़ी, तो प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है, जिससे सांस लेना और मुश्किल हो जाएगा।
दिवाली की रात जब पूरा शहर रोशनी में नहा रहा था, आतिशबाजी और हवा की धीमी गति के कारण नोएडा में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई थी। सोमवार देर रात 11 से 12 बजे के बीच, कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 372 से ऊपर दर्ज किया गया। अब प्रदूषण बढ़ता है तो नोएडा और ग्रेनो में निर्माण कार्यों पर ब्रेक लग सकता है।
देश के 10 प्रदूषित शहरों में आया नाममंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, नोएडा का औसत अकी 320 रहा, इससे यह एनसीआर में चौथे प्रदूषित शहर रहा। इतना ही नहीं नोएडा देश के शीर्ष-10 प्रदूषित शहरों में भी शामिल रहा। ग्रेनों का एक्यूआई 282 रहा, जो नोएडा से बेहतर था। दस दिनों में चौथी बार नोएडा का एक्यूआई 300 के पार पहुंचा है। पिछले सप्ताह ग्रैप-1 लागू होने के 24 घंटे में ही नोएडा का प्रदूषण ग्राफ ग्रैप-2 की श्रेणी में आ गया था। मौसम विभाग ने एनसीआर के कई इलाकों में स्मॉग की संभावना जताई है, जिसका असर बुधवार से नोएडा में भी देखने को मिल सकता है।
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