F-1 Holder Problems in US: अमेरिका में हायर एजुकेशन हासिल करने के लिए F-1 वीजा दिया जाता है। इस वीजा पर डिग्री पूरी करने के बाद जॉब करने के नियम इतने उलझाने वाले हैं कि कई बार स्टूडेंट्स को लगता है कि वे किसी भूल-भुलैया में फंस गए हैं। वैसे तो स्टूडेंट्स को 'ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग' (OPT) के जरिए ग्रेजुएशन के बाद जॉब की इजाजत है। मगर दिक्कत ये है कि कई कंपनियों को इमिग्रेशन नियमों के बारे में मालूम नहीं होता है और उनकी गलती से स्टूडेंट्स की जॉब चली जाती है।
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अमेरिका में पढ़ रहे स्टूडेंट्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर पोस्ट कर यहां के जॉब के हालात बताएं हैं। जिस तरह OPT पर स्टूडेंट्स एक साल तक जॉब कर सकते हैं, वैसे ही STEM OPT के जरिए स्टूडेंट्स को तीन साल तक नौकरी की इजाजत मिलती है। छात्रों का कहना है कि लेकिन जब कंपनियां हायर करने के बाद इमिग्रेशन के नियमों को नहीं समझ पाती हैं, तो उनकी गलती की वजह से कई राउंड इंटरव्यू के बाद भी जॉब हाथ से छिटक जाती है। इससे उनका भविष्य भी खतरे में पड़ जाता है।
जॉब ऑफर हाथ में आकर निकला
एक भारतीय स्टूडेंट ने रेडिट पोस्ट में बताया कि चार राउंड इंटरव्यू के बाद उसे एक कंपनी में जॉब मिली। उसकी जॉब अक्टूबर से शुरू होने वाली थी। उसने पिछली कंपनी से रिजाइन भी कर दिया और नोटिस पीरियड भी नियम के तहत खत्म किया। इसके बाद उसे I-9 वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया। हालांकि, कंपनी की मैनेजर ने कहा कि वह STEM OPT के नियमों को नहीं जानती है और उसे लीगल काउंसल से बात करनी होगी। इसके बाद जॉब शुरू करने की तारीख एक हफ्ते आगे बढ़ा दी गई।
भारतीय छात्र ने बताया, 'फिर कुछ दिन बाद मेल आया कि मेरा ऑफर रद्द कर दिया गया है। मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की और कॉल के लिए शेड्यूल भी किया, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। कंपनी बिल्कुल अड़ी हुई थी कि वह STEM OPT वाले स्टूडेंट्स को जॉब पर नहीं रखना चाहती है।' उसने आगे कहा, 'ऊपर से अब मेरी पुरानी कंपनी भी मुझे वापस नहीं रखना चाहती है, क्योंकि वो जॉब कॉन्ट्रैक्ट वाली थी।' कंपनी के नियमों को ना समझने की लापरवाही के चलते भारतीय छात्र के भविष्य की बलि चढ़ गई।
इमिग्रेशन नियम नहीं जानने वाली कंपनियों में ज्यादा खतरा
हालांकि, ऐसा नहीं है कि भारतीय छात्र को ही इस तरह के हालात का सामना करना पड़ा है। कई अन्य स्टूडेंट्स ने भी उसकी पोस्ट पर रिप्लाई देकर अपने हालात बताए। एक यूजर ने बताया कि किस तरह उसने कई राउंड इंटरव्यू क्लियर कर जॉब पाई। कंपनी उसे H-1B वीजा के लिए स्पांसर करने को भी तैयार थी और OPT कोई समस्या भी नहीं थी। कंपनी ने सैलरी, रिलोकेशन और जॉब के साथ मिलने वाले फायदे को लेकर भी चर्चा की। स्टूडेंट को फाइनल मीटिंग के बारे में भी बता दिया गया था।
मगर फिर ऑफर रिजेक्ट कर दिया गया। स्टूडेंट ने कहा, 'कई बार मुझे लगता है, जैसे मैं किसी फिल्म में हूं। सब कुछ सेट था और फिर आखिर में सब बदल गया।' एक अन्य यूजर ने बताया कि जिन कंपनियों को इमिग्रेशन नियम नहीं मालूम हैं, वे ज्यादा समस्या खड़ी कर देती हैं। उसने लिखा, 'जब कंपनियां इमिग्रेशन संबंधी कागजी कार्रवाई करने को तैयार न हों या उनसे परिचित न हों, तो बस उन्हें धन्यवाद कहें और चले जाएं। उनके साथ आगे बातचीत करने की कोशिश करना कभी भी अच्छा नहीं है क्योंकि ये आपके लिए उपयुक्त नहीं होगा।'
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अमेरिका में पढ़ रहे स्टूडेंट्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर पोस्ट कर यहां के जॉब के हालात बताएं हैं। जिस तरह OPT पर स्टूडेंट्स एक साल तक जॉब कर सकते हैं, वैसे ही STEM OPT के जरिए स्टूडेंट्स को तीन साल तक नौकरी की इजाजत मिलती है। छात्रों का कहना है कि लेकिन जब कंपनियां हायर करने के बाद इमिग्रेशन के नियमों को नहीं समझ पाती हैं, तो उनकी गलती की वजह से कई राउंड इंटरव्यू के बाद भी जॉब हाथ से छिटक जाती है। इससे उनका भविष्य भी खतरे में पड़ जाता है।
जॉब ऑफर हाथ में आकर निकला
एक भारतीय स्टूडेंट ने रेडिट पोस्ट में बताया कि चार राउंड इंटरव्यू के बाद उसे एक कंपनी में जॉब मिली। उसकी जॉब अक्टूबर से शुरू होने वाली थी। उसने पिछली कंपनी से रिजाइन भी कर दिया और नोटिस पीरियड भी नियम के तहत खत्म किया। इसके बाद उसे I-9 वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया। हालांकि, कंपनी की मैनेजर ने कहा कि वह STEM OPT के नियमों को नहीं जानती है और उसे लीगल काउंसल से बात करनी होगी। इसके बाद जॉब शुरू करने की तारीख एक हफ्ते आगे बढ़ा दी गई।
भारतीय छात्र ने बताया, 'फिर कुछ दिन बाद मेल आया कि मेरा ऑफर रद्द कर दिया गया है। मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की और कॉल के लिए शेड्यूल भी किया, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। कंपनी बिल्कुल अड़ी हुई थी कि वह STEM OPT वाले स्टूडेंट्स को जॉब पर नहीं रखना चाहती है।' उसने आगे कहा, 'ऊपर से अब मेरी पुरानी कंपनी भी मुझे वापस नहीं रखना चाहती है, क्योंकि वो जॉब कॉन्ट्रैक्ट वाली थी।' कंपनी के नियमों को ना समझने की लापरवाही के चलते भारतीय छात्र के भविष्य की बलि चढ़ गई।
इमिग्रेशन नियम नहीं जानने वाली कंपनियों में ज्यादा खतरा
हालांकि, ऐसा नहीं है कि भारतीय छात्र को ही इस तरह के हालात का सामना करना पड़ा है। कई अन्य स्टूडेंट्स ने भी उसकी पोस्ट पर रिप्लाई देकर अपने हालात बताए। एक यूजर ने बताया कि किस तरह उसने कई राउंड इंटरव्यू क्लियर कर जॉब पाई। कंपनी उसे H-1B वीजा के लिए स्पांसर करने को भी तैयार थी और OPT कोई समस्या भी नहीं थी। कंपनी ने सैलरी, रिलोकेशन और जॉब के साथ मिलने वाले फायदे को लेकर भी चर्चा की। स्टूडेंट को फाइनल मीटिंग के बारे में भी बता दिया गया था।
मगर फिर ऑफर रिजेक्ट कर दिया गया। स्टूडेंट ने कहा, 'कई बार मुझे लगता है, जैसे मैं किसी फिल्म में हूं। सब कुछ सेट था और फिर आखिर में सब बदल गया।' एक अन्य यूजर ने बताया कि जिन कंपनियों को इमिग्रेशन नियम नहीं मालूम हैं, वे ज्यादा समस्या खड़ी कर देती हैं। उसने लिखा, 'जब कंपनियां इमिग्रेशन संबंधी कागजी कार्रवाई करने को तैयार न हों या उनसे परिचित न हों, तो बस उन्हें धन्यवाद कहें और चले जाएं। उनके साथ आगे बातचीत करने की कोशिश करना कभी भी अच्छा नहीं है क्योंकि ये आपके लिए उपयुक्त नहीं होगा।'
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