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अमेरिका से पढ़कर भी करनी पड़ रही सिर्फ 16000 की नौकरी, मायूस होकर लौटे भारतीय ने बताया अनुभव

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US Job Condition: भारत में जब किसी को IIT में एडमिशन नहीं मिलता है, तो उनका दूसरा ठिकाना विदेश ही होता है। स्टूडेंट्स को लगता है कि विदेश से इंजीनियरिंग करने के बाद जॉब तो लगेगी ही, साथ ही उनकी लाइफ भी सेट हो जाएगी। ये ख्वाब देखकर हर साल हजारों भारतीय स्टूडेंट्स विदेश पढ़ने चले जाते हैं। इंजीनियरिंग, खासतौर पर कंप्यूटर साइंस जैसे सब्जेक्ट्स की पढ़ाई के लिए भारतीयों का पहला ठिकाना अमेरिका रहता है। इसकी एक मुख्य वजह अमेरिका का बड़ा टेक सेक्टर है।

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हालांकि, वो कहते हैं न, जो दिखता है, जरूरी नहीं की वह सच ही हो। स्टूडेंट्स मानकर चलते हैं कि अमेरिकी यूनिवर्सिटी से मिली डिग्री उनके लिए गूगल, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट के दरवाजे खोल देगी। मगर कई बार सच्चाई बिल्कुल उलट होती है और डिग्री होने के बाद भी जॉब के लिए धक्के खाने पड़ते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि कई बार तो स्टूडेंट्स को अमेरिकी डिग्री लेकर भारत लौटना पड़ता है। ऐसा ही कुछ एक भारतीय छात्र के साथ भी हुआ, जिसने अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है।

अमेरिका में नहीं मिली जॉब, हताश होकर लौटा भारत


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक पोस्ट में एक भारतीय वर्कर ने बताया कि उसे अमेरिका में मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद भी जॉब नहीं मिली। मजबूरन वह भारत लौट आया और फिर 2 लाख रुपये सालाना की जॉब करने लगा। मगर अब उसने यहां से भी रिजाइन कर दिया है और अभी उसके पास कोई जॉब ऑफर भी नहीं है। भारतीय टेक वर्कर ने ये भी बताया कि उसने जॉब छोड़ने का फैसला क्यों किया। साथ ही उसने अन्य लोगों से अपने करियर को लेकर सलाह भी मांगी है।

भारतीय ने कहा, 'मैंने कुछ दिन पहले एक पोस्ट में बताया था कि मैं 2 लाख रुपये सालाना की जॉब कर रहा हूं। ये एक ईयू फिनटेक कंपनी है, जो फ्रेशर्स को इतना ही पैसा देती है। मैंने अमेरिका से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स किया। मैंने वहां जॉब ढूंढने की काफी कोशिश की, लेकिन मुझे नौकरी नहीं मिली। फिर मैं 2024 में भारत लौट आया। एक महीने के भीतर ही मैंने हताश होकर इस कंपनी को ज्वाइन कर लिया, क्योंकि मैं अब और बेरोजगार नहीं रहना चाहता था। '

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रिजाइन करने की बताई वजह

टेक वर्कर ने एक लिस्ट के जरिए बताया कि उसने अभी बिना जॉब ऑफर होने के बाद भी कंपनी से रिजाइन क्यों कर दिया। उसने कहा कि नौकरी छोड़ने की एक मुख्य वजह कम सैलरी है। यहां इतनी कम सैलरी दी जा रही है कि मेरे लिए 2 लाख रुपये सालाना में टियर 1 शहर में रहना मुश्किल हो चुका है। टेक वर्कर ने कहा, 'मैं टियर 1 शहर में रहता हूं और मेरी ज्यादातर सैलरी सिर्फ आने-जाने में खर्च हो जाती है। बाकी का पैसा बिल का भुगतान और खाने-पीने में चला जाता है। इससे महीने के अंत में मेरे पास कुछ सौ रुपये बचते हैं, कभी-कभी तो कुछ भी नहीं बचता।'

एक और अहम वजह ऑफिस तक का लंबा सफर है। उन्होंने बताया, 'मुझे घर से ऑफिस पहुंचने में लगभग डेढ़ घंटे लगते हैं। यानी रोजाना आने-जाने में ही लगभग तीन घंटे लग जाते हैं।' वह अपने सहकर्मियों के व्यवहार से भी खुश नहीं था और इस्तीफा देने से पहले उसका मानना था कि उनका प्रोजेक्ट खराब हालात में था। उसने बताया कि वह नोटिस पीरियड पूरा कर रहा है और साथ ही अपनी स्किल पर भी काम कर रहा है। उसने लोगों से पूछा कि क्या इस मार्केट में 8-9 लाख सालाना वाली जॉब मिल सकती है। इस संबंध में उसने सलाह भी मांगी है।
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