राजस्थान में खांसी की दवा को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। कुछ दिनों पहले कफ सिरप लेने से तीन बच्चों की मौत की खबरें आई थीं, जिसे राज्य सरकार ने खारिज किया था। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह ने शनिवार को स्पष्ट किया कि बच्चों की मौत सिरप के सेवन के कारण नहीं हुई। उन्होंने कहा कि सरकार ने कफ सिरप के फार्मूले की पूरी जांच करवाई है और यह साबित हुआ कि यह सिरप बच्चों की मौत का कारण नहीं बन सकता। इस बयान से राज्य सरकार ने किसी भी तरह की लापरवाही से इंकार किया।
डॉक्टर ने स्वयं लिया सिरप, किए खुलासे
हालांकि अब कलसाड़ा प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी ने सिरप को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। डॉ. योगी ने बताया कि बच्चों में खांसी के इलाज के दौरान सिरप के संभावित साइड इफेक्ट्स के बारे में जानकारी लेने के लिए उन्होंने स्वयं इसका सेवन किया। उन्होंने कहा कि 26 सितंबर को ड्यूटी के दौरान उन्हें खुद खांसी और गले में खराश थी, जिस कारण उन्होंने साथी चिकित्सक से डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप का प्रिस्क्रिप्शन लिया।
दो से तीन मिलीलीटर की खुराक
डॉ. योगी ने बताया कि उन्होंने सिरप की निर्धारित दो से तीन मिलीलीटर की खुराक ली और बाद में अस्पताल में आराम करने लगे। निजी काम के लिए उन्हें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय जाना था, लेकिन रास्ते में गणेश माफमोड पर अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें उल्टी, चक्कर और बेचैनी महसूस होने लगी, जिसके कारण उन्होंने गाड़ी रोककर वहीं लेट गए।
बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती
डॉ. योगी ने आगे कहा कि उनकी हालत गंभीर होती देख उन्हें लगा कि अगर सुधार नहीं हुआ तो किसी परिवारजन को कॉल करेंगे, लेकिन इसी दौरान वे बेहोश हो गए और उन्हें कुछ याद नहीं रहा। जब परिवारजन उनसे संपर्क नहीं कर पाए तो प्रशासन से मदद मांगी गई। स्थानीय प्रशासन, चिकित्सा प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने उनका नंबर ट्रेस कर लोकेशन पता की और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
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