भारतीय जनता पार्टी के सांसदों के लिए आयोजित एक विशेष वर्कशॉप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सहयोगी सांसदों को महत्वपूर्ण सुझाव दिए। पीएम ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सांसदों को संसद की बहसों में सक्रिय भागीदारी के लिए व्यक्तिगत रिसर्च करनी चाहिए और पूरी तैयारी के साथ अपनी बात रखनी चाहिए। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि सांसद सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों में केवल भाग लें ही नहीं, बल्कि उनकी निगरानी और क्रियान्वयन में भी गहरी रुचि दिखाएं।
ट्रेनिंग सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अंतिम पंक्ति में बैठे और पूरे कार्यक्रम में मौजूद रहे। सुबह 10:45 से शाम 6:30 बजे तक चले इस सेशन में उन्होंने न केवल सभी चर्चाओं को ध्यान से सुना, बल्कि अंत में सांसदों से अलग-अलग समूहों में मिलकर बातचीत भी की।
समूहों में बंटे सांसद, अलग-अलग विषयों पर चर्चा
सभी सांसदों को पांच समूहों में विभाजित किया गया था और हर समूह को एक निश्चित विषय पर विचार-विमर्श करना था। कृषि, जल, सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर चर्चा का नेतृत्व सांसद संजय जायसवाल ने किया।
रक्षा, विदेश नीति, वित्त, आईटी और गृह मामलों पर आधारित समूह का संचालन बैजयंत पांडा ने किया, जिसमें वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री भी उपस्थित रहे। इसी प्रकार बिजली, पेट्रोलियम, कोयला और उद्योग से जुड़े विषयों पर शशांक मणि ने समूह को मार्गदर्शन दिया। शिक्षा और कानून पर केंद्रित चर्चा की जिम्मेदारी पी.पी. चौधरी को सौंपी गई, जबकि रेलवे, श्रम, शहरी मामलों और परिवहन से जुड़े समूह का संचालन भर्तृहरि महताब ने किया।
पीएम मोदी की बातचीत और जोर 'नई सोच' पर
इन समूह चर्चाओं के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों से सीधे संवाद किया। उन्होंने विशेष रूप से शहरी इलाकों में गेमिंग और सट्टेबाजी पर लगे हालिया प्रतिबंध को लेकर लोगों को सही तर्क समझाने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, सांसदों से आग्रह किया कि वे केवल परंपरागत सोच तक सीमित न रहें, बल्कि ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सुझाव सामने लाएं।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि वर्कशॉप का अगला सत्र सोमवार दोपहर 3 से 6 बजे तक आयोजित होगा, जिसमें एनडीए के सांसद भी शामिल होंगे और वे स्वयं उस सत्र को संबोधित करेंगे।
सांसदों के लिए पीएम मोदी के खास सुझाव
प्रधानमंत्री ने सांसदों को कई व्यावहारिक सुझाव दिए, ताकि वे जनता के बीच ज्यादा प्रभावी भूमिका निभा सकें:
टिफिन बैठकें आयोजित करें – हर महीने अपने संसदीय क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा में टिफिन बैठक करें। जनता से सीधे जुड़ें और उनकी समस्याओं को समझें।
संसदीय समिति की बैठकों से पहले तैयारी – संबंधित मंत्री और अधिकारियों से मिलें, ताकि बेहतर जानकारी और दृष्टिकोण मिल सके।
अधिकारियों से सहयोगी व्यवहार – अधिकारियों से संवेदनशील तरीके से पेश आएं और उन्हें सकारात्मक दिशा में प्रेरित करें।
स्वच्छता अभियान को गति दें – सिंगापुर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने में सांसदों को आगे रहना चाहिए।
किसानों पर विशेष ध्यान दें – किसान सम्मान योजना सहित अन्य कृषि योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंच रहा है या नहीं, इसकी नियमित जांच करें।
योजनाओं का प्रचार-प्रसार करें – यह सुनिश्चित करें कि सरकारी योजनाओं का लाभ हर पात्र व्यक्ति तक पहुंचे।
ग्रामीण और शहरी समस्याओं की समझ – पीएम ने कहा कि दोनों क्षेत्रों की चुनौतियां अलग होती हैं, इसलिए सांसदों को संतुलित दृष्टिकोण रखना चाहिए।
जनता से निरंतर संपर्क – उन्होंने सांसदों से कहा कि वे लाभार्थियों से संवाद बनाए रखें और उनकी प्रतिक्रिया को समझें।
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