बिहार की सियासत में नया मोड़ आया है। एनडीए गठबंधन ने 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा तय कर दिया है। इस बार बीजेपी और जदयू दोनों बराबर, यानी 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। एलजेपी (रामविलास) को 29 सीटें, जबकि हम (सेक्युलर) और आरएलएम को 6-6 सीटें मिली हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार है जब बीजेपी और जदयू समान संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह बराबरी राजनीतिक वजन में भी दिखेगी, या नतीजे तय करेंगे कि गठबंधन में “बड़ा भाई” कौन है।
2020 का चुनाव और नीतीश का सीएम होना
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू 115 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन सिर्फ 43 सीटें जीत पाई। वहीं बीजेपी 110 सीटों पर उतरी और 74 पर विजयी हुई। इसके बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार को मिली, क्योंकि बीजेपी ने वादा निभाने का दावा किया। इस बार का समीकरण कुछ अलग नजर आता है, क्योंकि जदयू का उत्साह बीजेपी के मुकाबले थोड़ी कम दिखाई दे रहा है।
बीजेपी का भरोसा और विपक्ष का सवाल
बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने कई बार कहा है कि बिहार चुनाव में एनडीए का चेहरा नीतीश कुमार ही रहेंगे। उनका दावा है कि परिणाम जो भी हों, नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे। लेकिन विपक्ष, खासकर राजद और कांग्रेस, इसे लेकर सवाल उठा रहे हैं कि जीत के बाद बीजेपी कहीं नीतीश को किनारे तो नहीं करेगी। असली तस्वीर 2025 के नतीजों के बाद ही स्पष्ट होगी।
बीजेपी और जदयू: बराबरी का नया समीकरण
बीजेपी और जदयू लंबे समय से गठबंधन में हैं, लेकिन इस बार दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। इससे जदयू के लिए ‘बड़ा भाई’ की भूमिका चुनौतीपूर्ण हो गई है। आरजेडी नेता मनोज कुमार झा का कहना है कि बीजेपी और उसके सहयोगियों की कुल सीटें 142 हैं, जबकि जदयू को सिर्फ 101 सीटें मिली हैं। उनका मानना है कि वर्षों से जदयू का दावा रहा कि वह एनडीए में बड़ा भाई है, लेकिन इस बार उनकी भूमिका कमजोर कर दी गई है।
दूसरी ओर पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने सीट बंटवारे पर चुटकी ली। उनके अनुसार, चाहे नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने या न बनें, जदयू का बिहार में प्रभाव कम हो जाएगा। आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि एनडीए के भीतर सब कुछ पूरी तरह ठीक नहीं है। उनका मानना है कि अब तक जदयू बड़े भाई की भूमिका निभाती रही, लेकिन अब उसे बराबरी के स्तर पर ला दिया गया है।
2024 के लोकसभा चुनाव का अनुभव
पहली बार नहीं है जब जदयू बीजेपी से कम सीटों पर चुनाव लड़ रही हो। लोकसभा चुनाव 2024 में जदयू ने 16, जबकि बीजेपी ने 17 सीटों पर मुकाबला किया था। उस चुनाव में दोनों पार्टियों ने 12-12 सीटें जीती थीं, जबकि लोजपा (रामविलास) ने 5 और हम व आरएलएम ने 1-1 सीटें जीती थीं। इस हिसाब से, यदि जदयू फिर से बड़े भाई की भूमिका निभाना चाहती है, तो उसे इस बार अधिक सीटें जीतनी होंगी।
जुड़वा गठबंधन: जदयू का नया दावा
एनडीए के भीतर चल रही ‘बड़ा-छोटा भाई’ बहस पर जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा, “अब हम बड़े या छोटे भाई नहीं, बल्कि जुड़वा हैं। हमारा चेहरा नीतीश कुमार हैं और नतीजे के बाद भी वही मुख्यमंत्री बने रहेंगे।” फिर भी राजनीतिक गलियारों में सवाल बना हुआ है कि क्या बीजेपी वाकई नीतीश को सीएम बनाए रखेगी या सीटों की ताकत नया अध्याय लिखेगी।
नीतीश का अनुभव और आगामी चुनौती
नीतीश कुमार के पास तीन दशक का राजनीतिक अनुभव है और उन्होंने हमेशा संतुलन साधने की कला दिखाई है। पहले भी कम सीटों के बावजूद सत्ता में बने रहना उन्होंने साबित किया है। लेकिन 2025 का विधानसभा चुनाव यह तय करेगा कि क्या नीतीश इतिहास दोहराएंगे या इस बार बीजेपी अपने दम पर नया चेहरा आगे बढ़ाएगी।
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