New Delhi, 18 अक्टूबर . कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि Sunday (19 अक्टूबर) को दोपहर 1 बजकर 51 मिनट तक रहेगी. इसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी. इस दिन काली चौदस, हनुमान पूजा और मासिक शिवरात्रि का विशेष संयोग बन रहा है.
द्रिक पंचांग के अनुसार, Sunday के दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. त्रयोदशी तिथि का समय 18 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 19 अक्टूबर 1 बजकर 51 मिनट तक रहेगा, जिसके हिसाब से इस दिन चतुर्दशी मनाई जाएगी.
काली चौदस का उल्लेख गरुड़ पुराण में मिलता है, जहां यमराज के निमित्त दीपदान करने का विधान है. यह मुख्य रूप से Gujarat में दीवाली उत्सव के दौरान मनाई जाती है. यह पर्व चतुर्दशी तिथि पर तब मनाया जाता है, जब मध्यरात्रि में चतुर्दशी तिथि प्रचलित होती है, जिसे महा निशिता काल कहते हैं. इस दिन मां काली और वीर वेताल की पूजा विशेष रूप से श्मशान में की जाती है. काली चौदस को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस से अलग समझना जरूरी है.
इस दिन भक्त नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए विशेष उपाय करते हैं. एक पीले कपड़े में हल्दी, 11 गोमती चक्र, चांदी का सिक्का और 11 कौड़ियां बांधकर ‘श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें और इसे तिजोरी में रखें. ऐसा करने से व्यवसाय में होने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन लाभ होता है. मां काली को लौंग का जोड़ा अर्पित करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है. चने की दाल और गुड़ का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है. मां काली के बीज मंत्र ‘ऊं क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा’ का 108 बार जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है और मां काली की कृपा प्राप्त होती है.
इसी के साथ ही, इस दिन हनुमान पूजा भी है. मान्यता है कि दीवाली से एक दिन पहले हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से बुरी आत्माओं से रक्षा होती है और शक्ति की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम ने हनुमान जी को वरदान दिया था कि उनकी पूजा पहले की जाएगी. इसलिए दीवाली से पहले हनुमान पूजा की परंपरा है. अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर में इस दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है, हालांकि उत्तर India में अधिकांश भक्त चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाते हैं.
हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल और लाल फूल अर्पित करें. इससे जीवन में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है. हनुमान जी को लड्डू या गुड़-चने का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है.
मासिक शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. यह दिन भगवान शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे और भगवान विष्णु व ब्रह्माजी ने उनकी पूजा की थी. मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से कठिन कार्य पूरे होते हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. Tuesday को पड़ने वाली शिवरात्रि विशेष शुभ मानी जाती है.
इस दिन शिवलिंग का दूध, दही, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें. बेलपत्र, धतूरा और भांग अर्पित करें. शिव पंचाक्षर मंत्र ‘ऊं नमः शिवाय’ का रुद्राक्ष माला से 11 बार जाप करें. धन संबंधी परेशानियों के लिए शिवलिंग पर गन्ने का रस अर्पित करें. ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिए शहद से अभिषेक करें, इससे गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है.
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एनएस/डीएससी
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