New Delhi, 3 सितंबर भारतीय नौसेना प्रमुख, एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने Wednesday 03 सितम्बर को गुजरात के लोथल में स्थित राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का दौरा किया. नौसेना प्रमुख ने यहां पर कई महत्वपूर्ण नौसेनिक उपकरणों व अत्याधुनिक हथियारों के विशाल संग्रह का अवलोकन किया.
इनमें युद्धपोत निशंक, आईएल-38 एसडी समुद्री टोही विमान, नौसैनिक हेलिकॉप्टर, सी हैरियर लड़ाकू विमान, नौसैनिक तोपें, लांचर, पी-21, ब्रह्मोस मिसाइल मॉडल, इंजन मॉडल, अंडरवॉटर चेरेट तथा सी ईगल मिसाइल सिस्टम शामिल रहे.
उन्होंने यहां लोथल के ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल का भी भ्रमण किया और भारतीय नौसेना के भारत की प्राचीन समुद्री धरोहर से गहरे संबंध को दोहराया. गौरतलब है कि लोथल में स्थित राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर, बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा गुजरात सरकार और भारतीय नौसेना के सहयोग से विकसित किया जा रहा है. यह 400 एकड़ में फैला हुआ है. यह विश्व के सबसे बड़े समुद्री संग्रहालयों में से एक होगा.
इसका उद्देश्य भारत की समृद्ध समुद्री परंपरा और नौसैनिक विकास यात्रा को प्रस्तुत करना है. इसमें भारतीय नौसेना के विकास को समर्पित विशेष गैलरी भी होगी. अपनी इस विजिट के दौरान नौसेना प्रमुख ने परिसर में मौजूद नौसेना से संबंधित प्रमुख प्रदर्शनी एवं विरासत कलाकृतियों का अवलोकन किया.
उन्होंने निर्माण कार्य की प्रगति की समीक्षा की व परियोजना से जुड़े हितधारकों के साथ संवाद किया. उन्होंने यहां वरुण नेवल कॉम्प्लेक्स का भी दौरा किया. नौसेना प्रमुख को यहां नौसैनिक कलाकृतियों और उपकरणों के विशाल संग्रह का अवलोकन कराया गया. उन्हें रियर एडमिरल सतीश वासुदेव, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग गुजरात तथा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के ऑफिसर-इन-चार्ज कमांडर रणजोत सिंह ने चरण 1ए की प्रगति पर जानकारी दी. यह चरण 2025 के अंत तक पूरा होने की संभावना है.
नौसेना प्रमुख ने वरुण नेवल कॉम्प्लेक्स का भी दौरा किया, जो नौसेना द्वारा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर स्थल पर निर्मित नया प्रशासनिक कार्यालय व आवासीय परिसर है. यहां नियुक्त नौसैनिक कार्मिक परियोजना की निगरानी करेंगे और नौसैनिक धरोहर वस्तुओं का संरक्षण करेंगे.
उन्होंने परियोजना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की. इनमें यहां तैनात कमोडोर, उप निदेशक मॅरिटाइम हेरिटेज सोसायटी, भारतीय पोर्ट्स, रेल एंड रोपवे कॉरपोरेशन लिमिटेड एवं टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के प्रतिनिधि शामिल थे. नौसेना प्रमुख ने राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर को ‘भारत के समुद्री अतीत, वर्तमान और भविष्य का सजीव प्रतीक’ बताते हुए सभी हितधारकों के बीच तालमेल की सराहना की और परियोजना की गति को बनाए रखने हेतु प्रोत्साहित किया.
इसके साथ ही उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के लोथल स्थल का भी दौरा किया, जो अपने प्राचीन जहाजरानी घाट, मनके कार्यशालाओं और लगभग 4,000 वर्ष पूर्व मेसोपोटामिया एवं मिस्र के साथ समुद्री व्यापार संबंधों के लिए प्रसिद्ध है. नौसेना प्रमुख ने कहा कि लोथल की समुद्री विरासत 21वीं सदी में भारतीय नौसेना की दृष्टि को प्रेरित करती है.
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जीसीबी/एसके
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