New Delhi, 22 सितंबर . अश्वगंधा चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक हर्ब है, जिसे तनाव कम करने, इम्यूनिटी बढ़ाने, ऊर्जा देने और नींद सुधारने के लिए प्रयोग किया जाता है. हालांकि, कुछ लोगों को इसका सेवन करने से बचना चाहिए या फिर आयुर्वेदाचार्य से सलाह के बाद ही सेवन करना चाहिए.
गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान अश्वगंधा से परहेज करना चाहिए, क्योंकि यह गर्भाशय को उत्तेजित कर सकता है और प्रीमेच्योर डिलीवरी या गर्भपात का खतरा बढ़ा सकता है.
इसके अलावा, अन्य दवाओं के साथ भी सावधानी आवश्यक है. थायराइड की दवाओं, ब्लड शुगर या ब्लड प्रेशर की दवाओं और सिडेटिव दवाओं के साथ अश्वगंधा लेने से बीपी-शुगर अचानक गिर सकता है या अत्यधिक नींद, चक्कर जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे रुमेटाइड अर्थराइटिस, ल्यूपस या एमएड में अश्वगंधा का सेवन जोखिमपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को सक्रिय करता है.
सर्जरी से कम से कम 2 हफ्ते पहले अश्वगंधा लेना बंद कर दें ताकि ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल नियंत्रित रह सके.
साथ ही अल्कोहल या नशीले पदार्थों के साथ इसका सेवन न करें, क्योंकि दोनों मिलकर चक्कर, उलझन या अत्यधिक नींद जैसी समस्या पैदा कर सकते हैं.
पुरानी बीमारियों जैसे किडनी, लिवर की समस्या या पेट के अल्सर वाले लोग डॉक्टर की सलाह के बिना इसे न लें. लंबे समय तक लगातार सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है, इसलिए 3-4 महीने उपयोग के बाद 1-2 महीने का ब्रेक लें. पाउडर की गुणवत्ता पर भी ध्यान दें, अशुद्ध या मिलावटी उत्पाद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. साथ ही यदि पहली बार अश्वगंधा का सेवन कर रहे हैं तो छोटी मात्रा लेकर एलर्जी टेस्ट करना चाहिए. खासकर 12 साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टरी सलाह के अश्वगंधा न दें.
यदि आप अश्वगंधा का सेवन करते हैं तो मात्रा का ध्यान रखें. आयुर्वेद में रोज़ाना 1-2 ग्राम (¼ से ½ चम्मच) ही पर्याप्त माना जाता है. अधिक मात्रा लेने से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, या लिवर पर दबाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
अश्वगंधा लाभकारी है, लेकिन सही मात्रा, समय और सावधानी से ही इसके फायदों का अनुभव किया जा सकता है. किसी भी हर्बल सप्लीमेंट की तरह, डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है.
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पीआईएम/डीएससी
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