New Delhi, 1 अक्टूबर . दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. यह त्योहार हर साल भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों की उपवास और पूजा-अर्चना के बाद दशहरा का दिन भगवान राम द्वारा रावण का वध और माता दुर्गा द्वारा महिषासुर का संहार करने की कहानी से जुड़ा है. इस दिन को धर्म, नैतिकता और न्याय की स्थापना के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
दशहरा केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सदाचार और विजय की प्रेरणा भी देता है. दशहरा के दिन कई जगहों पर रावण दहन, मंदिरों में पूजा, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. इस दिन पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है. लोग सुबह से ही शुभ मुहूर्त में अपने घरों और मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. खासतौर पर मां दुर्गा की विदाई की जाती है.
ज्योतिष शास्त्र में दशहरे पर कई तरह के उपाय करना शुभ माना जाता है.
इस दिन घर के दक्षिण दिशा में शमी का पौधा लगाएं, क्योंकि शमी के पत्ते रावण के दस सिरों का प्रतीक होते हैं, इसलिए उन्हें पूजा में विशेष स्थान दिया जाता है. साथ ही यह पौधा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर-परिवार में सुख-शांति आती है.
दशहरे पर झाड़ू दान करना भी फलदायी होता है. माना जाता है कि झाड़ू माता लक्ष्मी का रूप है, और इसे जरूरतमंद को दान करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और धन की वृद्धि होती है.
इसके अलावा, शाम के समय घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाना भी शुभ होता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है और परिवार में सौहार्द बढ़ता है. इसी तरह, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के साथ नारियल चढ़ाना, नारियल को पीले वस्त्र में लपेटकर राम मंदिर में चढ़ाना, और सुंदरकांड का पाठ करना भी विशेष फलदायी उपाय माने जाते हैं.
शिवजी की पूजा भी दशहरा के दिन अत्यंत महत्व रखती है. भगवान शिव को गंगाजल से अभिषेक करना, बिल्व पत्र चढ़ाना, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना और दूध-शहद से अभिषेक करना ऐसे उपाय हैं जिनसे स्वास्थ्य, समृद्धि और संकटों से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही चावल दान करना भी लाभकारी माना जाता है. ये सभी उपाय धार्मिक आस्था के साथ-साथ जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होते हैं.
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पीके/एएस
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