आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं जिनका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज में किया जाता है। हम आपको एक ऐसी ही जड़ी बूटी के बारे में बता रहे हैं, जिसके बारे में आज तक आपको शायद किसी ने नहीं बताया होगा।यह कोई मामूली पौधा नहीं, बल्कि एक ऐसा पौधा है जिसके बारे में यदि आपको पूरा ज्ञान हो गया, तो आप कई प्रकार की बीमारियों को भी पूरी तरह से समाप्त कर सकते है। इस पौधे का नाम है अतिबाला (Abutilon indicum)। यह सुनहरे-पीले फूलों वाला एक औषधीय पौधा है।
इसका उपयोग आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा पद्धति में कई दवाओं की तैयारी के लिए किया जाता है। इस पौधे में एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और यह लैक्साटिव ब्लड टॉनिक के रूप में भी काम करता है। परंपरागत रूप से इस पौधे के सभी हिस्सों का उपयोग औषधीय रूप से कुष्ठ, मूत्र रोग, पीलिया, बवासीर, प्यास से राहत देने, घावों को साफ करने, अल्सर, योनि में संक्रमण, दस्त, गठिया, कण्ठमाला, टीबी, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी, पेचिश, दुर्बलता, तंत्रिका विकार, सिरदर्द, मांसपेशियों की कमजोरी, हृदय रोगों, रक्तस्राव विकारों, लकवाग्रस्त विकारों और कान की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है।
1) मसूढ़ों की सूजन हेल्थबेनेफिट्सटाइम्स डॉट कॉम के अनुसार, अतिबला के पत्तों का काढ़ा बनाकर यदि आप प्रतिदिन दिन में 3 से 4 बार कुल्ला करें तो रोजाना के इस प्रयोग करने से मसूढ़ों की सूजन व मसूढ़ों का ढीलापन दूर हो सकता है।
2) पेशाब का बार-बार आना हेल्थबेनेफिट्सटाइम्स डॉट कॉम के अनुसार, अतिबला की जड़ की छाल का पाउडर यदि चीनी के साथ लें तो बार-बार पेशाब आने की बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
3) गीली खांसी अतिबला के साथ कंटकारी, बृहती, वासा के पत्ते और अंगूर को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लेते हैं। इसे 14 से 28 मिलीमीटर की मात्रा में 5 ग्राम शर्करा के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से गीली खांसी बिल्कुल पूरी तरह से ठीक हो सकती है।
4) बवासीर अतिबला के पत्तों को पानी में उबालकर उस्का अच्छी तरह से काढ़ा बना लें। इस काढ़े में उचित मात्रा में ताड़ का गुड़ मिलाकर पीयें। इससे बवासीर में बेहतरीन लाभ हो सकता है।
5) दस्त और पेशाब के साथ खून आना अतिबला के पत्तों को देशी घी में मिलाकर दिन में 2 बार पीने से दस्त में काफी लाभ हो सकता है। इसकी जड़ का 40 मिलीलीटर की मात्रा में काढ़ा सुबह-शाम पीने से पेशाब में खून का आना पूरी तरह से बंद हो सकता है।
6) पेट में दर्द होने पर अतिबला के साथ पृश्नपर्णी, कटेरी, लाख और सोंठ को मिलाकर दूध के साथ पीने से पित्तोदर यानी पित्त के कारण होने वाले पेट के दर्द में बहुत ही लाभ मिल सकता है।
7) मूत्ररोग अतिबला के पत्तों या जड़ का काढ़ा लेने से मूत्रकृच्छ (सुजाक) रोग पूरी तरह से दूर होता है। ये काढ़ा सुबह-शाम 40 मिलीलीटर लें। यदि इसके बीज 4 से 8 ग्राम रोज लें तो काफी लाभ हो सकता है।
8) शरीर को शक्तिशाली बनाना अगर अप हमेशा थकान और कमजोरी महसूस करते हैं, तो आपको इस पौधे का इस्तेमाल करना चाहिए। शरीर में कमजोरी होने पर अतिबला के बीजों को पकाकर खाने से शरीर की ताकत काफी बढ़ जाती है।
इनके अलावा इसका इस्तेमाल बुखार, छाती का संक्रमण, सूजाक, रक्तमेह, मूत्रकृच्छ, कुष्ठ रोग, सूखी खाँसी, ब्रोंकाइटिस, गाउट, बहुमूत्रता, गर्भाशय, मूत्र त्यागना, मूत्रमार्गशोथ, रेचक, गठिया, सिफलिस, मूत्राशय की सूजन, कैटरियल बाइलियस डायरिया आदि के लिए भी किया जाता है। लेकिन ध्यान रहे कि इसका इस्तेमाल करने से पहले एक्सपर्ट या डॉक्टर से सलाह लें।
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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