बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीति और मनोरंजन का एक ज़बरदस्त मेल होने की संभावना है. राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं और भोजपुरी प्रभाव को लेकर चर्चाएं ज़ोरों पर हैं.
भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह, उनकी पत्नी ज्योति सिंह, खेसारी लाल यादव, अक्षरा सिंह और रितेश पांडे जैसे नाम चर्चा में हैं. भोजपुरी सितारों का राजनीतिक इस्तेमाल 2020 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था और यह सिलसिला 2025 में भी जारी रहने की उम्मीद है. भोजपुरी सिनेमा के सितारे अपनी लोकप्रियता के कारण बिहार में काफ़ी राजनीतिक प्रभाव रखते है. खासकर भोजपुरी भाषी क्षेत्रों जैसे सारण, सिवान, गोपालगंज, भोजपुर और पूर्वी बिहार में इनका प्रभाव ज्यादा है.
2025 के विधानसभा चुनाव में कई भोजपुरी सितारे अपनी किस्मत आज़मा सकते हैं.
पवन सिंह (निर्दलीय या अन्य पार्टी)
भोजपुरी सिनेमा के पवन सिंह ने 2024 का लोकसभा चुनाव बिहार के काराकाट लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. लेकिन हार गए थे. बिहार में खासकर युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं के बीच उनकी जबरदस्त लोकप्रियता उन्हें एक मज़बूत दावेदार बनाती है. वे बिहार चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ सकते हैं या किसी छोटी पार्टी के साथ गठबंधन कर सकते है.
पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह
पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह ने विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी मंशा ज़ाहिर की है. उन्होंने आनंद मोहन समेत कई राजपूत समुदाय के नेताओं से भी संपर्क किया है. हालांकि ज्योति सिंह ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने पति पवन सिंह के काराकाट निर्वाचन क्षेत्र में ज़ोरदार प्रचार किया था. लेकिन वे जीत नहीं पाईं. ऐसे में विधानसभा चुनाव में जीत उनके पति पवन सिंह को एक बड़ा तोहफ़ा दे सकती है.
क्या अक्षरा सिंह चुनावी मैदान में आने की योजना बना रही हैं?
एक फिल्म प्रमोशन के दौरान जब भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह से राजनीति में आने और बिहार चुनाव लड़ने की संभावना के बारे में पूछा गया. तो उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि फ़िलहाल उनकी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की कोई योजना नहीं है. हालांकि उन्होंने ये ज़रूर कहा कि अगर किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार की विचारधारा उन्हें पसंद आएगी, तो वह उनके लिए प्रचार ज़रूर करेंगी.
भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह के कुछ जन सुराज नेताओं से करीबी संबंध रहे हैं. यदि पार्टी महिला कार्ड खेलना चाहती है, तो उन्हें किसी शहरी सीट से मैदान में उतारा जा सकता है. हालांकि उन्होंने अभी तक अपने राजनीतिक इरादे खुलकर नहीं बताए हैं.
खेसारी लाल यादव (राजद या निर्दलीय)
भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव बिहार के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में लोकप्रिय हैंउनकी सामाजिक सक्रियता और राजद नेताओं खासकर तेजस्वी यादव से उनकी नजदीकी के कारण अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे राजद के टिकट पर सीवान, गोपालगंज या वैशाली से चुनाव लड़ सकते हैं. अगर राष्ट्रीय जनता दल उन्हें टिकट देता है. तो वे यादव और युवा मतदाताओं को आकर्षित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
भोजपुरी गायक और अभिनेता रितेश पांडे के भी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने की चर्चा है. अटकलें हैं कि वे BJP के टिकट पर किसी भोजपुरी भाषी क्षेत्र, जैसे आरा या बक्सर, से चुनाव लड़ सकते हैं. रितेश ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की बात कही है, जो उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
रितेश पांडे (संभावित भाजपा)
भोजपुरी गायक और अभिनेता रितेश पांडे के भी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है. अटकलें हैं कि वे आरा या बक्सर जैसे किसी भोजपुरी भाषी क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. रितेश ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार की बात कही है जो उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
विनय बिहारी (संभावित भाजपा)
भोजपुरी सिंगर और अभिनेता विनय बिहारी जो वर्तमान में लौरिया से विधायक हैं. 2025 में चौथी बार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. वे भाजपा के टिकट पर पश्चिमी चंपारण या आसपास के किसी इलाके से चुनाव लड़ सकते हैं. विनय बिहारी पहले से ही राजनीति में सक्रिय हैं और उनकी स्थानीय स्तर पर अच्छी पकड़ है.
बिहार में भोजपुरी भाषा की आबादी
भोजपुरी सितारों की राजनीतिक प्रासंगिकता बिहार में भोजपुरी भाषी आबादी लगभग 30-35% है. जो 243 विधानसभा सीटों में से 80-100 पर निर्णायक भूमिका निभाती है. ये सितारे अपनी फिल्मी छवि गानों और सामाजिक संबंधों के ज़रिए युवा, ग्रामीण और ओबीसी (OBC) मतदाताओं को आकर्षित करते हैं. भाजपा (BJP) और राजद (RJD) दोनों ही इन सितारों को अपने प्रचार अभियान में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, भाजपा पहले से ही मनोज तिवारी और रवि किशन जैसे सितारों को स्टार प्रचारकों के रूप में इस्तेमाल कर रही है. हालांकि ये दोनों बिहार में चुनाव लड़ने की बजाय प्रचार पर ध्यान दे सकते हैं.
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