एक प्राचीन कथा के मुताबिक, एक संत गांव के लोगों को प्रवचन देते थे और वह अपने जीवन यापन के लिए घर-घर जाकर भिक्षा मांगते थे. एक दिन गांव की एक महिला ने संत के लिए खाना बनाया और जब पंत उसके घर आए तो महिला ने खाना देते हुए उससे पूछा कि महाराज जीवन में सच्चा सुख और आनंद कैसे मिलता है. संत ने महिला से कहा कि मैं आपको इस प्रश्न का उत्तर कल दूंगा.
अगले दिन महिला ने संत के लिए खीर बनाई. संत उनसे भिक्षा लेने आए. महिला खीर लेकर बाहर आई. संत ने खीर लेने के लिए अपना कमंडल आगे बढ़ाया. जैसे ही महिला खीर कमंडल में डालने वाली थी, तभी उसने देखा कि कमंडल के अंदर गंदगी पड़ी है. उसने कहा- महाराज आपका कमंडल गंदा है, इसमें कचरा है.
संत ने कहा- हां यह तो गंदा है. लेकिन आप इसी में खीर डाल दो. महिला बोली कि महाराज ऐसे तो खीर खराब हो जाएगी. लाइए आप मुझे कमंडल दीजिए, मैं इसे धोकर साफ कर देती हूं. संत ने पूछा- जब तक कमंडल साफ नहीं होगा तो आप मुझे इसमें खीर नहीं देंगी. महिला ने कहा- जी महाराज, इसे साफ करने के बाद ही मैं इसमें खीर डालूंगी.
संत ने कहा- ठीक इसी तरह जब तक हमारे मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह जैसे बुरे विचारों की गंदगी रहेगी तो उसमें उपदेश कैसे डाले जा सकते हैं. अगर हम ऐसे मन में उपदेश डालेंगे तो उनका असर नहीं होगा. इसीलिए उपदेश सुनने से पहले हमें अपने मन को शांत और पवित्र करना चाहिए. तभी हम ज्ञान को ग्रहण कर पाएंगे. पवित्र मन से ही हमें सच्चा सुख और आनंद प्राप्त हो सकता है.
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब तक हमारा मन पवित्र नहीं होगा. तब तक हमें सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति नहीं होगी.
You may also like
3 चुनौतियां, जिनका टीम इंडिया के नए टेस्ट कप्तान शुभमन गिल को सामना करना होगा
Global Economy Rankings 2025 : भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जापान को पछाड़ा!
Nautapa 2025: क्या इस बार नहीं दिखेगा राजस्थान में नौतपा का असर? एक क्लिक में पढ़े अगले 8 दिन तक कैसा रहेगा मौसम का मिज़ाज
प्लेऑफ में जगह नहीं बना पाए, लेकिन टीम ने जोरदार प्रयास किया: डीसी के समीर रिजवी
भारत के नए टेस्ट कप्तान गिल ने कहा: 'बड़ा सम्मान और बड़ी जिम्मेदारी'