– प्रो. मनीषा शर्मा
मध्य प्रदेश हाइ कोर्ट ने एक केस में फैसला दिया है कि यदि कोई बालिग स्त्री चाहे तो अपनी मर्जी से शादीशुदा पुरुष के साथ रह सकती है। यह फैसला जब से आया तब से चर्चा का विषय बना हुआ है। कोर्ट ने साफ कहा है कि कौन किसके साथ रहना चाहता है यह उनकी निजी स्वतंत्रता है। इस मामले में वह हस्तक्षेप नहीं कर सकती। अगर लड़की बालिग है तो उसे अपने फैसले स्वयं करने की स्वतंत्रता है। चाहे निर्णय सही हो या गलत। लड़की यदि चाहती है तो वह किसी शादीशुदा पुरुष के साथ रह सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालत नैतिकता या प्रवचन का मंच नहीं।
इस तरह के फैसले हमारे समाज की सामाजिक मान्यताओं, मानदंड, नैतिक मान्यताओं के लिए किस कदर खतरनाक हैं, यह देखना कोर्ट का विषय नहीं है। कोर्ट ने इससे पहले भी कई मामलों में ऐसे फैसले दिए जो हमारे यहां की सामाजिक संरचना, मान्यताओं पर फिट नहीं बैठते हैं। कई बार न्यायालय ने भारतीय संस्कृति, परंपरा, सामाजिक मान्यता, नैतिकता को दरकिनार करते हुए इस तरह के फैसले सुनाए हैं। तो फिर समाज में नैतिक परंपराओं नियमों का पालन कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है? कानून के डर से कुछ लोग इस तरह के रिश्तों में सामाजिक प्रतिष्ठा की बात सोच चुप्पी साधे रखते हैं या फिर ऐसा कोई निर्णय नहीं लेते हैं, ऐसा कोई कदम नहीं उठाते जिससे कानूनी पचड़ों में पड़े। पर अब जिस तरह से निजी स्वतंत्रता की बात को ही महत्व देने की हवा चल रही है उससे तो जिसकी मर्जी वह ऐसे कृत्य खुल कर करेगा।
वैसे भी वर्तमान में लोग समाज और सामाजिक प्रतिष्ठा को बहुत महत्व नहीं दे रहे है। व्यक्ति के लिए उसकी निजी स्वतंत्रता, उसकी व्यक्तिगत जिंदगी ही बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। युवा पीढ़ी को तो एक जीवन ही मिला है तो उसे हर तरह से जी लेना है। उसे नहीं लेना देना कि समाज क्या कह रहा है? लोग क्या कह रहे हैं? तो ऐसे समय में, ऐसी विकट परिस्थिति में जहां समाज का बहुत ज्यादा जोर नहीं है। कानून भी अगर इस तरह के फैसला देगा तो इस प्रकार के व्यभिचार को बहुत ज्यादा बढ़ावा मिलेगा। ऐसे फैसले चाहे लिव इन हो या विवाहेत्तर सम्बन्ध या अन्य उसका प्रभाव हम समाज पर देख रहे हैं। हर कोई खुलेआम इसको मान्यता दे रहा है। लड़के-लड़कियां इसी तरह के बंधन से मुक्त जीवन में ज्यादा सहज महसूस कर रहे है।
अगर आपको याद होगा तो कुछ फिल्में जरूर ऐसी बनी हैं, जिनकी कहानी घरवाली बाहरवाली पर आधारित थी। ये गाना और गोविंदा आपको याद होगा, एक तरफ है घरवाली, एक तरफ बाहरवाली। पर यहां पर कोर्ट दोनों को ही एक घर में एक साथ रहने की इजाजत दे रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि द्विविवाह का केस या दावा करने का अधिकार सिर्फ पहली पत्नी का है। हम यह मान लें की कोर्ट इस तरह के फैसले देकर समाज में एक तरह से अनैतिक परंपराओं को बढ़ावा दे रहा है। किसी भी समाज में उसका आधार उसकी सामाजिक मान्यता, रीति-नीति, नैतिक परंपराएं होती हैं । इन्हीं वजह से समाज में सुसंस्कृति, सुशासन स्थापित होता है। यदि उसे दरकिनार कर दिया जाए समाज में विकृति आ सकती है। न्यायालय, न्यायाधीश भी इस समाज का अंग है और वह बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि इस तरह के फैसले बहुत गंभीर और प्रभावी परिणाम लेकर आते हैं।
कानून, न्यायालय सामाजिक जीवन और समाज से कटे या अलग नहीं हैं, ये सामाजिक जीवन में अंतर्निहित हैं। इन्हीं का संदर्भ लेकर आगे भी इस तरह के अनेक मामले सामने आएंगे जब एक ही छत के नीचे विवाहित स्त्री के रहते हुए पति दूसरी प्रेमी का या गर्लफ्रेंड को भी साथ में रहने के लिए ले आएगा। इस तरह के फैसले देते हुए सामाजिक संरचना, मान्यताओं, नैतिकता का आधार होना बहुत जरूरी है। हम इसको पूरी तरह से दरकिनार नहीं कर सकते हैं वरना समाज का जो स्वरूप होगा वह भयानक होगा।
इस तरह के निर्णयों से भविष्य में हमारा सामाजिक ताना-बाना बिगड़ जाएगा। इस प्रकार निर्मित समाज के लिए कहीं ना कहीं हम लोग ही जिम्मेदार होंगे। न्यायापालिका लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ है। न्यायपालिका का निर्माण उस राष्ट्र के लोगों और समाज की चिंता के लिए, उनके हितों के लिए, वहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए, उसकी सुरक्षा के लिए हुआ है तो वह कैसे समाज और उसकी नैतिक मान्यताओं को दरकिनार कर सकती है? इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। एक स्वस्थ, सुसंकृत, सुशासित समाज के लिए समाज, उसकी स्वस्थ नैतिक मान्यताओं और न्यायालय के मध्य संतुलन, सद्भाव का होना आवश्यक है।
(लेखिका, केंद्रीय विवि अमरकंटक में पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष हैं।)
—————
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी
The post मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का फैसला और हमारा सामाजिक बाना appeared first on cliQ India Hindi.
You may also like
बिहार एसआईआर : राजद ने मतदाता सूची को लेकर 28 दिन बाद दर्ज कराई आपत्ति
'विश्व युवा स्क्रैबल चैंपियनशिप- 2025' में भारतीय टीम का सहयोग करेगी एस्सार फाउंडेशन
जानिए ग्रीन टी पिने के 5 बड़े फायदे के बारे में, आप अभी
यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूस का भीषण हमला, 629 एयरस्ट्राइक, हाइपरसोनिक किंझल मिसाइल भी दागी, भयानक तबाही
शरीर में अचानक होने वाले परिवर्तनों का होता है ख़ास मतलब, जानिए कुछ ऐसे संकेत जो अचानक होते हैं`