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वेस्टर्न कपड़ों पर बहस के बाद मुस्कान शर्मा ने जीता मिस ऋषिकेश का ताज, एक हिंदू संगठन ने उठाई थी आपत्ति

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Muskan Sharma मिस ऋषिकेश 2025 मुस्कान शर्मा अपनी मां के साथ

मुस्कान शर्मा ने उन पुरुषों का डटकर सामना किया जो उनके पहनावे पर टिप्पणी कर रहे थे. इसके बाद उन्होंने न सिर्फ़ लोगों का दिल जीता बल्कि एक सौंदर्य प्रतियोगिता का ताज भी हासिल किया.

उत्तराखंड के ऋषिकेश में 23 साल की मुस्कान शर्मा को पिछले हफ़्ते 'मिस ऋषिकेश 2025' का ताज पहनाया गया. उन्होंने बीबीसी से कहा, "यह भले ही एक छोटी-सी स्थानीय प्रतियोगिता थी, लेकिन मेरे लिए यह मिस यूनिवर्स जैसा एहसास था."

उनकी जीत ने पूरे भारत में सुर्खियां बटोरीं, इसकी वजह 4 अक्तूबर को हुई एक घटना थी. प्रतियोगिता से पहले जब रिहर्सल चल रही थी, तभी एक व्यक्ति ने उनके पहनावे को लेकर बयानबाज़ी की थी.

मुस्कान, जो स्कूल के दिनों से ही मॉडल बनना और सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहती थीं, बताती हैं, "हम लंच ब्रेक में बैठे थे, बातें कर रहे थे, तभी कुछ लोग अंदर आ गए."

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वायरल वीडियो में राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के ज़िला प्रमुख राघवेंद्र भटनागर को मुस्कान और अन्य प्रतियोगियों के पहने गए स्कर्ट और वेस्टर्न ड्रेसेज़ पर आपत्ति जताते हुए देखा जा सकता है.

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'पहले सिगरेट और शराब की दुकान बंद कराओ' image Muskan Sharma मुस्कान का कहना है कि उनके परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया है

वीडियो में भटनागर कहते सुनाई दे रहे हैं, "मॉडलिंग ख़त्म हो गई है, घर वापस जाओ. यह उत्तराखंड की संस्कृति के ख़िलाफ़ है."

मुस्कान ने बेबाकी से जवाब दिया, "तो फिर उन दुकानों को क्यों नहीं बंद करते जो ये कपड़े (वेस्टर्न कपड़े) बेचती हैं?"

उन्होंने अंदर आए लोगों से आगे कहा कि आपको अपनी उर्जा उन चीज़ों पर लगानी चाहिए जो महिलाओं के कपड़ों से भी बदतर है, जैसे शराब पीना और धूम्रपान जैसी सामाजिक बुराइयां.

मुस्कान ने कहा, "बाहर सिगरेट और शराब की दुकान है. पहले उन्हें बंद कराओ, फिर मैं ये कपड़े पहनना बंद कर दूंगी."

इस पर भटनागर ने कहा कि मुझे मत सिखाओ कि क्या करना है.

मुस्कान ने पलटकर कहा, "अगर आपको अपनी पसंद का हक़ है, तो हमें भी है. हमारी राय भी उतनी ही मायने रखती है जितनी आपकी."

बहस बढ़ने पर अन्य प्रतिभागी और आयोजक भी मुस्कान के साथ आ गए. आख़िर में होटल मैनेजर ने भटनागर और उनके समूह को वहां से बाहर कर दिया, जिन्होंने कार्यक्रम रुकवाने की धमकी दी थी.

मिस यूनिवर्स जैसा एहसास image BBC

शर्मा कहती हैं कि राघवेंद्र भटनागर को दिया गया उनका जवाब 'बिलकुल सहज प्रतिक्रिया' थी.

वो बताती हैं, "मुझे लगा मेरे सपने मेरी आंखों के सामने बिखर रहे हैं. उस वक्त मेरे दिमाग में बस यही सवाल चल रहा था कि क्या यह प्रतियोगिता होगी? क्या मैं रैंप पर चल पाऊंगी? या फिर मेरी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी?"

अगले दिन कार्यक्रम तय समय पर हुआ और मुस्कान शर्मा ने 'मिस ऋषिकेश 2025' का ताज जीत लिया.

मुस्कान ने कहा, "जब मेरा नाम पुकारा गया, तो पहले तीन सेकंड तक मैं हैरान रह गई."

उन्होंने कहा, "लेकिन फिर बहुत ख़ुशी हुई कि मैंने अपने लिए आवाज़ उठाई और जीत भी हासिल की. यह मेरे लिए दोहरी जीत थी. यह एक छोटी सी जगह पर एक छोटी सी प्रतियोगिता थी, लेकिन इससे मुझे मिस यूनिवर्स जैसा एहसास हुआ."

शर्मा कहती हैं कि ऋषिकेश में महिलाओं के कपड़ों को लेकर ऐसी टिप्पणी या टोका-टोकी सुनने को नहीं मिलती.

गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर हिमालय की तलहटी में स्थित है और अपने आश्रमों, योग और ध्यान केंद्रों के लिए प्रसिद्ध है. यह एक पवित्र हिंदू स्थल माना जाता है, जहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं.

बीटल्स बैंड के फैंस के लिए भी यह जगह ख़ास है क्योंकि 1968 में 'फैब फोर' ने यहीं एक आश्रम में हफ़्तों बिताए थे.

मुस्कान ने कहा, "यहां हर वक्त विदेशी पर्यटक वेस्टर्न कपड़ों में नज़र आते हैं और किसी को कोई आपत्ति नहीं होती."

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माता-पिता का साथ image Getty Images सुष्मिता सेन जब मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता जीती थीं

दुनियाभर में ब्यूटी कॉन्टेस्ट की आलोचना होती रही है कि वे महिलाओं को एक वस्तु की तरह दिखाते हैं और उनके बारे में बनी पुरानी सोच को बढ़ावा देते हैं.

लेकिन भारत में इन प्रतियोगिताओं की लोकप्रियता 1994 के बाद से लगातार बनी हुई है, जब सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स और ऐश्वर्या राय ने मिस वर्ल्ड का ख़िताब जीता था.

दोनों बाद में बॉलीवुड की सफल अभिनेत्रियां बनीं और उन्होंने देशभर की पीढ़ियों को अपने रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी.

इसके बाद के सालों में प्रियंका चोपड़ा, डायना हेडन और लारा दत्ता जैसी विजेताओं की सफलता ने इस विश्वास को और मज़बूत किया कि सौंदर्य प्रतियोगिताएं खासकर छोटे शहरों में रहने वाली लड़कियों के लिए 'सफलता का एक बड़ा मौका' बन सकती है.

मुस्कान कहती हैं कि उनके माता-पिता ने हमेशा उनका समर्थन किया. वायरल वीडियो में उन्हें भटनागर से यह कहते सुना जा सकता है कि 'अगर मेरे माता-पिता को मेरे कपड़ों से कोई आपत्ति नहीं है, तो आपको कौन-सा हक़ है टिप्पणी करने का?"

महिलाओं के पहनावे का विरोध नया नहीं image Muskan Sharma मुस्कान शर्मा अन्य प्रतियोगियों के साथ फोटो खिंचवाती हुई

भारत में वेस्टर्न कपड़ों को लेकर विरोध कोई नई बात नहीं है. यहां महिलाओं के पहनावे पर अक्सर बहस छिड़ जाती है. एक गहरे पितृसत्तात्मक समाज में कई लोग पश्चिमी कपड़ों, ख़ास तौर पर जींस को युवाओं के 'नैतिक पतन' से जोड़कर देखते हैं.

स्कूल और कॉलेजों में लड़कियों के लिए ड्रेस कोड तय किए जाते हैं. कई बार गांव के बुज़ुर्ग पूरे समुदाय की लड़कियों को जींस पहनने से रोक देते हैं.

बीबीसी ने पहले भी ऐसे कई मामले रिपोर्ट किए हैं जहां लड़कियों और महिलाओं को उनके कपड़ों के कारण अपमानित किया गया.

कुछ साल पहले हमने असम में एक 19 साल की छात्रा का मामला रिपोर्ट किया था, जो शॉर्ट्स पहनकर परीक्षा देने आई थी और शिक्षक के विरोध करने पर उसे अपने पैरों पर पर्दे लपेटने को मजबूर होना पड़ा.

एक अन्य मामले में एक किशोरी की जींस पहनने पर उसके रिश्तेदारों ने कथित तौर पर हत्या कर दी.

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image Getty Images भारत में कई स्कूलों और कॉलेजों में लड़कियों के पहनावे के लिए दिशानिर्देश हैं

द हिंदुस्तान टाइम्स की कॉलम लेखिका नमिता भंडारे लिखती हैं कि ऋषिकेश में 'मिस्टर ऋषिकेश' प्रतियोगिता को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं होती, जहां प्रतिभागी अक्सर बहुत कम कपड़ों में होते हैं.

उन्होंने लिखा है कि मुस्कान और अन्य प्रतियोगियों के कपड़ों पर आपत्ति 'सिर्फ़ एकतरफ़ा" है.

वो लिखती हैं, "मुद्दा कपड़े नहीं हैं. मुद्दा है आज़ादी और आकांक्षा. इन युवा महिलाओं की हिम्मत कैसे हुई उस मंच पर खड़े होने की, जो उन्हें दुनिया के सामने ला सकता है? कैसे उन्होंने उस मर्यादा और शर्म की रेखा लांघी, जो पितृसत्तात्मक समाज ने उनके लिए खींच रखी है?"

image BBC

भंडारे लिखती हैं कि भारत में, जहां महिला सांसदों या न्यायाधीशों की संख्या ज़्यादा नहीं है, एक छोटे शहर की युवा महिलाओं की ओर से किया गया ऐसा विरोध प्रदर्शन 'काबिल-ए-तारीफ़' है.

मुस्कान कहती हैं कि उन्हें सही के लिए खड़ा होना उनकी मां ने सिखाया है. उन्होंने कहा, "यह ताज जितना मेरा है, उतना ही मेरी मां का भी है. अगर वो नहीं होतीं, तो मैं आज यहां नहीं होती."

उनका मानना है कि उनकी कहानी अब दूसरी महिलाओं को भी अपने हक़ और सही बात के लिए आवाज़ उठाने की हिम्मत देगी.

उन्होंने कहा, "मैं मानती हूं कि उस पल मैं भी डर और घबराहट महसूस कर रही थी. लेकिन अगर आपको यक़ीन है कि आप सही हैं, तो आप लड़ भी सकती हैं."

वह कहती हैं, "मेरे लिए ताज दूसरी बात थी. असली मक़सद था महिलाओं को प्रेरित करना कि वे अन्याय के ख़िलाफ़ खड़ी हों और सही बात के लिए खुलकर बोलें."

जब उनसे आगे की योजनाओं के बारे में पूछा गया, तो मुस्कान मुस्कुराकर बोलीं, "अगले साल मिस उत्तराखंड में हिस्सा लूंगी, फिर मिस इंडिया. उसके बाद ज़िंदगी जहां ले जाए, देखूंगी."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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